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खुद को इतना भी न बचाया करो, बारिशें हों तो भींग जाया कर, खूब जमी शायरों की महफिल

Posted on: Tue, 27, Nov 2018 4:32 PM (IST)
खुद को इतना भी न बचाया करो, बारिशें हों तो भींग जाया कर, खूब जमी शायरों की महफिल

मऊः (सईदुज़्जफर) बालीवुड के युवा गीतकार एवं विश्व प्रख्यात शायर शकील आज़मी के सम्मान में कल देर रात एमएए फाउंडेशन डोमन पुरा मऊ के प्रांगण में “एक शाम शकील आज़मी के नाम“ समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें लोगों ने देर रात तक लुत्फ उठाया। शकील आज़मी मदहोशी, ज़िद, ज़हर, 1920, हॉन्टेड, वह लम्हें, धोखा, या रब, नज़र, ईएमआई, लाईफ एक्सप्रेस, धुमधड़ाका, शोबीज, कर ले प्यार कर ले, थ्री, यू आर माई जान, तेज़ाब, दी एसिड आफ लव, इश्क के परिंदे, मुल्क फिल्मों के लिए गाना लिख चुके हैं।

फिल्म मदहोशी के गीत “ऐ खुदा तुने मोहब्बत ये बनायी क्यों है“ गाना स्टार द सेट अवार्ड के लिए भी नामित किया गया था। मुशायरा पढ़ने के लिए शकील आज़मी अमेरिका, कनाडा, दुबई, शारजाह, अबूज़हबी, बहरैन, दोहा, कतर, सऊदी अरब, नेपाल आदि की यात्रा कर चुके हैं। इनकी अब तक छ किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। विभिन्न प्रकार के चौदह से ज़्यादा एवार्ड भी इनको मिल चुका है। शकील आज़मी के मऊ आगमन पर एमएए फाउंडेशन में एक शाम शकील आज़मी के नाम कार्यक्रम का आयोजन किया गया था जिसकी अध्यक्षता डीसीएसके पीजी कॉलेज के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ मोहम्मद ज़्याउल्लाह ने की कार्यक्रम का प्रारंभ मुजाहिदुल इस्लाम की हम्द से हुआ।

उसके बाद मऊ के युवा शायर इमरान सागर ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत की। डाक्टर शमशाद अंबर ने भी अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं। वाराणसी से आये डाक्टर खालिद ने “वह कौन है जो बचाता है मुझको लहरों से, मैं डूबता हूँ तो तिनके से जोड़ देता है“ सुना कर वाहवाही लूटी। गायकार अफज़ाल ने शकील आज़मी के लिखे गाने को प्रस्तुत किया। देर रात शकील आज़मी ने “हाल दिल का उसे सुनाते हुए, रो पड़ा था मैं मुस्कुराते हुए. भीगती जा रही थी एक लड़की, बारिशों में नशा मिलाते हुए सुना कर समां बांध दिया। इसके अलावा इन्होंने“ बादलों की तरह बारिश की कहानी में रहो, तुम मेरा गम हो मेरे आंख के पानी में रहो“.परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है, ज़मीन पर बैठ कर क्या आसमान देखता है..खुद को इतना भी मत बचाया कर, गर बारिशें हों तो भीग जाया कर सुना कर देर रात तक महफिल को जमाए रखा।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि समाज सेवी जमाल अर्पण ने शकील आज़मी का स्वागत करते हुए कहा कि अदब को आगे बढ़ाने के लिए हम पूरी कोशिश करते हैं उन्होंने कहा कि शकील आज़मी जैसी बालीवुड की चर्चित हस्ती हम लोगों के बीच उपस्थित है जिसे हम अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। डाक्टर मोहम्मद ज़्याउल्लाह ने कहा कि ज़ुबान से निकले और दिल में बैठे ऐसी शायरी शकील आज़मी ने सुना कर उर्दू अदब को एक अद्भुत नमुना पेश किया और उम्मीद जताई कि यह मऊ के शायरों के लिए मार्गदर्शन भी होंगे उन्होंने बताया कि अदब ही व्यक्ति को ज़िंदा रखता है।

उन्होंने मुगलों का भी उदाहरण देते हुए बताया कि मुगल का कोई भी बादशाह ऐसा नहीं था जो अदीब नहीं था। इस अवसर पर सरफराज़ सिल्को, सईदुज़्ज़फर, राशिद असरार, इम्तियाज नोमानी, मंज़र कमाल, कमाल अख्तर, शाह खालिद, मोइनुद्दीन आमिर,अंसार पैकर, नेहाल जालिब, मुनव्वर अली, इम्तियाज साकिब, याकूब फलक, आरिफ, लियाकत अली, फैज़ान, मो अजमल आदि उपस्थित रहे।




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