डॉ अजय को शोध के लिए 4.5 लाख रुपये का अनुदान
मऊ (सईदुज्ज़फर) जनपद के प्रतिष्ठित इतिहास के विद्वान एवं प्रगतिशील लेखक संघ मऊ के सचिव डॉ अजय कुमार मिश्र को भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली से औपनिवेशिक भारत में अवरोधक कैंपों के बारे मे शोध करने के लिए रू.(4,50,000) चार लाख पचास हजार की अनुदान राशि स्वीकृत की गई है। इसमें उनका फ़ोकस बिंदु देवली-राजस्थान, हिजली और बुक्सा बंगाल रहेंगे। एक वकतव्य मे डॉ.मिश्र ने बताया कि भारतीय मुक्ति संघर्ष के इतिहास में अवरोधक कैंपो मे.निरूद्ध किए स्वाधीनता संग्राम सेनानियों का अथक योगदान रहा है। ये अवरोधक कैंप निर्जन एवं दुरूह स्थानों पर बनाए गए थे, इनमें उन लोगों को निरूद्ध किये गए वे लोग थे जिनपर कोई अभियोग पत्र नहीं था लेकिन ब्रिटिश सरकार उन्हें अपने लिए खतरनाक व्यक्ति मानती थी. इन लोगो को भी अमानवीय यातनाएं दी जाती थी फलस्वरूप उनमें से अनेकों शहीद हो गए. अभी तक इन कैंपो का ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अध्ययन नहीं किया गया है.इनका उल्लेख केवल वहां निरुद्ध रहे राजबंदियों के संस्मरणों और आत्मकथाओं में मिलता है. भारतीय इतिहास के इस अनछुए पहलू पर अध्ययन करने के लिए धनराशि उपलब्ध करने के लिए मैं भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद नई दिल्ली का आभारी हूँ।
डॉ मिश्र की इस उपलब्धि उनके पास भेजे गए संदेश मे प्रगतिशील लेखक संघ उ.प्र. के महासचिव डॉ संजय श्रीवास्तव ने आशा व्यक्त किया कि अभी भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेकों क्षेत्र ऐसे हैं जिनपर कार्य करने की आवश्यकता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि डॉ मिश्र का यह कार्य एक मील का पत्थर होगा। प्रलेस उ.प्र के सचिव डॉ संजय राय, प्रलेस मऊ के अध्यक्ष डा.वसीमुद्दीन जमाली, डीसीएसके पीजी कालेज मऊ के इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ मोहम्मद जियाउल्लाह, डा अब्दुल अजीम खान प्रतिष्ठित अस्थि रोग विशेषज्ञ डा गंगा सागर सिंह ने डॉक्टर मिश्र को बधाई देते हुए आशा व्यक्त की कि डॉ मिश्र ऐसे ही इतिहास की सेवा करते रहेंगे।