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जवाहरबाग कांड की जांच क्यो न सीबीआई से करायी जाये

Posted on: Wed, 06, Jul 2016 3:16 PM (IST)
जवाहरबाग कांड की जांच क्यो न सीबीआई से करायी जाये

इलाहाबाद: हाल ही में मथुरा के जवाहर बाग में हुए खूनी संघर्ष मामले की सीबीआई जांच के लिए हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता से पूछा कि क्यों न इस पूरे घटनाक्रम की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए। प्रकरण पर सुनवाई जारी है। कोर्ट अब इन याचिकाओं पर 14 जुलाई को सुनवाई करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विक्रमनाथ तथा न्यायमूर्ति आरएन कक्कड़ की खण्डपीठ ने अश्विनी उपाध्याय व एक अन्य की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया।

उपाध्याय ने बहस की कि जवाहरबाग की घटना में सरकार में बैठे लोगों सहित कई अन्य प्रदेशों के नक्सली समूूहों के लिप्त होने के कारण घटना की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। साथ ही पीड़ितों या शहीदों को मुआवजा देने में विभेदकारी नीति का त्याग कर स्पष्ट नीति लागू की जाए। उपाध्याय का कहना है कि मास्टर माइंड रामवृक्ष यादव को जिला प्रशासन ने जनवरी 14 में दो दिन के लिए धरना देने की अनुमति दी थी। इसके बाद हजारों की भीड़ जमा हो गयी। राजनैतिक शह के चलते रामवृक्ष के सामने पुलिस बेबस हो गयी। पार्क में भारी मात्रा में असलहे जमा हो गए। पूरा नगर बसा लिया गया। इन गतिविधियों की सूचना खुफिया विभाग लगातार सरकार को भेजता रहा किन्तु राजनैतिक संरक्षण के चलते रामवृक्ष के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हो सकी। हाईकोर्ट के कड़े रूख के चलते उठाये गये कदम में दो पुलिस कर्मियों सहित 27 लोगों की मौत हो गयी। उपाध्याय ने मौत के आंकड़ों पर भी सवाल खड़े किए और कहा कि सीबीआई जांच हाईकोर्ट या न्यायिक आयोग की निगरानी में करायी जाए। राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा के जांच आयोग को घटना की जांच का जिम्मा सौंपा है।

कोर्ट ने जानना चाहा कि पेपर न्यूज के अलावा क्या अन्य कोई साक्ष्य या तथ्य है जिससे कोर्ट जांच का आदेश दे। अधिवक्ता योगेश अग्रवाल ने एसआईटी जांच की मांग की और कहा कि आयोग को कार्यवाही करने का अधिकार नहीं होता है। ऐसे में दोषियों को दंडित करने के लिए एसआईटी जांच जरूरी है। कोर्ट ने महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह से पूछा कि क्यों न घटना की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। इस पर उन्होंने याचिका की पोषणीयता पर आपत्ति की और कहा कि याची भाजपा सदस्य है। याचिका जनहित में न होकर राजनीति प्रेरित याचिका है साथ ही सरकार ने न्यायिक आयोग गठित किया है। उसकी रिपोर्ट का इंतजार किया जाना चाहिए। सीबीआई व आयेाग की जांच से भ्रम उत्पन्न होगा।




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