आंदोलन की आंधी में बुझे एक ही घर के दो चिराग
मधवापुर, मधुबनी, बिहार: (दीपक कुमार) मधेश आंदोलन में नेपाल में प्रहरी की गोली से अब तक मारे गए 41 लोगों की मौत पर मचे कोहराम और चीत्कार की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि आंदोलन की आंधी में एक ही घर के दो और चिराग बुझ गए। मौत पर मचे कोहराम की गूंज सीमा पर बसे गांवों में भी सुनी जा रही है। प्रहरी की गोली से तीन दिनों के अंतराल पर दादा और पोते की हुई मौत से गांव में मातमी सन्नाटा पसरा है। मधुबनी जिला के मधवापुर प्रखंड की सीमा से महज छह कि0 मी0 की दूरी पर स्थित महोत्तरी जिला के जलेश्वर नगरपालिका वार्ड न0 सात बजराही गांव के गणेश चैधरी व उनके पोते रोहण की मौत प्रहरी की गोली से हो गई। तीन दिनों के अंतराल पर बुझे दो चिरागों ने पूरे गांव को अंधेरे में डुबो दिया है। गांव छोडकर मृतक के परिजन अन्यत्र शरण लिए हुए हैं। मृतक के पुत्र विजय चैधरी का कहना है कि उसके पिता को आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं था। रोहण की मौत के तीन दिन बाद जब रतवारा बाजार से घर के लिए आवश्यक सामानों की खरीदारी कर लौट रहे थे, तब प्रहरी ने आंदोलनकारियों को खदेडते हुए गोली चलायी। प्रहरी की गोली लगने से घटनास्थल पर ही विजय के 70 वर्षीय पिता की मौत हो गई। घटना के बाद से ही घर के लोग भय से घर छोड कर भागे हुए हैं। गोरखा पत्र के संवाददाता रह चुके गणेश चैधरी पंचायत काल में जन वाणी व प्रभात के संपादक थे। वर्तमान में पिछले तीन दशक से नेपाल रेडक्राॅस में कार्यरत थे।