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06 मई 2024
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Uttar pradesh

बस्ती सुगर मिल मामलाः मजदूरों का हक हाशिये पर, करोड़ों रूपया बाकी, मालिक जबरदस्ती ले जा रहा मशीनें

Posted on: Fri, 12, Apr 2024 2:46 PM (IST)
बस्ती सुगर मिल मामलाः मजदूरों का हक हाशिये पर, करोड़ों रूपया बाकी, मालिक जबरदस्ती ले जा रहा मशीनें

बस्ती, 12 अप्रैल। बस्ती सुगर मिल के मशीनों को काटकर कबाड़ के भाव बेंचा जा रहा है, मिल के ऊपर 160 कर्मचारियों का करीब डेढ़ करोड़ रूपया बकाया है। भुगतान को लेकर 10 वर्षों से लगातार आन्दोलन चल रहा है। मिल नीलाम हो चुकी है। कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने की बजाय मिल मालिक, जिला प्रशासन और दलाल मिलकर एक साजिश के तहत जोर जबरदस्ती से मिल के सारे उपकरण भी उठा ले जा रहे हैं। बुधवार को पता चला कि मिल गेट पर धरना दे रहे कर्मचारियों की मागों को अनुसना कर एसडीएम शत्रुघ्न पाठक मिल के उपकरणों को ट्रक में लदवाकर सुरक्षाकर्मियों के सहयोग से मिल से बाहर निकलवा रहे हैं।

बुधवार को इसकी जानकारी कांग्रेस के जिलाध्यक्ष ज्ञानेन्द्र पाण्डेय को हुई। इसके बाद सदर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके वरिष्ठ कांग्रेसी नेता देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, जिला महासचिव गंगा प्रसाद मिश्रा, विजय श्रीवास्तव, रंजना सिंह, नीलम विश्वकर्मा सहित दर्जन भर कांग्रेसी सुगर मिल पहुंच गये,। यहां धरना दे रहे संजय कुमार सिंह, साधू सिंह, रामशव्द चौधरी आदि से बातचीत किया। इसके बाद मिल गेट पर डियूटी दे रहे सुरक्षाकर्मियों से अंदर संदेश भेजवाया कि कांग्रेस का प्रतिनिधि मंडल उनसे इस संदर्भ में वार्ता करना चाहता है।

संदेश पहुंचते ही वे आगबबूला हो गये और मिल गेट के बाहर निकलकर कांग्रेस नेताओं को आदर्श आचार संहिता की धमकी देने लगे। वे कतई कोई बात सुनने को तैयार नही थी। एसडीएम ने कहा वे वे कोई राजनीतिक एजेंडा नही चाहते, बात करना हो तो कलेक्ट्रेट आइये, इतना कहकर गाड़ी में बैठे शीशा चढ़ाया और चलते बने। इस तरह इग्नोर कर एसडीएम के जाने से कांग्रेस के लोग उत्तेजित हुये लेकिन एसडीएम भी चूंकि बगैर कर्मचारियों का बकाया भुगतान किये सफलतापूर्वक मिल के उपकरणों को निकलवाकर बाहर भेजने के लिये रची गई साजिश में शामिल हैं इसलिये उन पर कोई फर्क नही पड़ा। नाराज कर्मचारियों ने उनकी मौजूदगी में ही उन्हे दलाल कहा और मुरदाबाद के नारे भी लगाये। फिलहाल कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधि मंडल इस मामले में मण्डलायुक्त से मिलने वाला है।

क्या है पूरा मामला

आपको बता दें मिल के 160 कर्मचारी पिछले कई वर्षो से धरनारत हैं, वर्ष 2013 से मिल बंद होने के कारण उनका परिवार भुखमरी के कगार पर है। मिल प्रशासन, कर्मचारी यूनियन और पूर्व के जिलाधिकारी के समक्ष बकाया भुगतान को लेकर 10 बिन्दुओं पर समझौता हुआ था। सभी बकाया भुगतान 30 दिसम्बर 2023 तक किये जाने पर सहमति बनी थी। समझौते में यह भी कहा गया था कि बकाया भुगतान करने के बाद ही मिल को नीलाम किया जायेगा। समय बीत जाने के बावजूद श्रमिकों का बकाया भुगतान नहीं किया गया उल्टे जिला प्रशासन और मिल प्रशासन की मिलीभगत से मिल की मशीनरी को अवैध तरीके से काटकर कबाड के भाव बेचा जा रहा है। ऐसा लगता है कि बिना बकाया भुगतान किये मशीनों को काट कर बेंच दिया जायेगा। मिल कर्मियों ने मांग किया कि वेतन, रिटेनर, बोनस, पी.एफ., गेच्युटी के फाइनल सेटलमेंट के बाद ही मिल का सामान नीलाम हो।




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