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पायलट नही बन पाई युवती तो बन गई ड्रान दीदी

Posted on: Thu, 14, Mar 2024 6:37 PM (IST)
पायलट नही बन पाई युवती तो बन गई ड्रान दीदी

भरुच,, गुजरात (बीके पाण्डेय)। भरुच तहसील के सिमलिया गांव में रहने वाली कृष्णा पटेल बचपन से पायलट बनने की इच्छा रखती थी मगर वह पूरी नही हो पाई तो वह हाल में ड्रान दीदी बनकर ड्रान उड़ाकर दवा का छिडक़ाव करने का काम कर रही है। दो बींघा जमीन में कृषि श्रमिकों के साथ दव का छिडक़ाव किया जाये तो पांच से छह घंटे तक का समय लगता है। किन्तु ड्रान की मदद से इस काम को मात्र पंद्रह मिनट में पूरा किया जा सकता है।

इस युवती का वीडियो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपने एक्स एकाउंट पर से भी शेयर किया है। हलदरवा गांव के किसान परिवार में पली बढ़ी कृष्णा पटेल का विवाह सिमलिया गांव में रहने वाले हरिकृष्ण पटेल के साथ हुआ था। बचपन से ही कृष्णा पटेल का सपना पायलट बनने का था मगर वह किसी कारण से पूरा नही हो सका तो उसने एमएससी केमेस्ट्री तक पढ़ाई की।

घर काम करने के साथ खेती का काम करने वाली कृष्णा गांव की ओम सखी मंडल के साथ भी जुड़ी है। जीएनएफसी कंपनी की तरफ से सरकार की ओर से चलाई जा रही ड्रान दीदी योजना के तहत महिला किसानों का चयन किया गया था जिसमें कृष्णा का चयन हुआ था। गुजरात में से चयनित की गई बीस महिलाओं को अहमदाबाद में प्रशिक्षण प्रदान किया गया था। पायलट बनने की उसकी अधूरी इच्छा को उसने अब ड्रान पायलट बनकर पूरा कर लिया है।

ड्रान से खर्च कम

एक खेत में ड्रान की मदद से दवा के छिडक़ाव का खर्च सात सौ रुपए के करीब आता है मगर जिस किसान ने पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराया होगा उसे सब्सिडी की छूट के बाद दो सौ रुपए का खर्च आता है। किसान सब्सिडी के बिना भी इस सेवा का लाभ ले सकते हैं।

कड़ी धूप में किया काम

किसान शैलेष पटेल ने कहा कि हम लोगो ने कड़ी धूप में खेतों में काम किया है। दवा छिडक़ाव करने का पंप कंधे पट लटकाकर पूरे खेत में दवा को छिडक़ने में दो दिन लग जाता था मगर अब यह काम मात्र तीस से चालीस मिनट में हो जाता है। इसके अलावा दवाओं के सांस में जाने व शरीर पर लगने की झंझट से भी मुक्ति मिल गई है।




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