मौत के कारोबार पर दीदी की “ममता“
सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग (पवन शुक्ल) बंगाल सरकार ने पान मसाला, गुटका, जर्दा और अन्य जानलेवा खाद्य वस्तुओं पर पहली बार वर्ष 2011 में प्रतिबन्ध लगाया था, वहीं 7 नवंबर 2019 को इसे एक वर्ष और आगे बढाने का फरमान जारी किया है। लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण आज भी ये मौत के सामान बाजार में खुलेआम बिक रह हैं। ये फैसला राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने लिया।
प्रतिबंध की बढ़ी अवधि 7 नवंबर से लागू हो गई, राज्य सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 25 अक्टूबर की अधिसूचना के जरिए फैसले का ऐलान किया। नई अधिसूचना के अनुसार, ’गुटका और तंबाकू, निकोटिन वाले पान मसाला को बनाने, स्टोर करने, बिक्री और वितरण पर एक साल के लिए प्रतिबंध बढ़ा दिया। प्रतिबंध बाजार में किसी भी नाम से उन्हें बेचा जा रहा हो, सभी पर लागू होगा.’राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने बताया कि ये प्रतिबंध खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के तहत जन-स्वास्थ्य के हित में लगाया गया है क्योंकि तंबाकू और निकोटिन सेहत के लिए हानिकारक हैं।
सरकार ने 11 में पहली बार लगाया प्रतिबंध
अधिसूचना में कहा गया कि खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर प्रतिबंध और रोक) नियमन 2011 ऐसे खाद्य पदार्थों की बिक्री को प्रतिबंधित करता है, जिनमें तंबाकू और निकोटिन शामिल है। सरकार के फरमान से कालाबाजारी बढ़ी गयी है। बंगाल में गुटका, पान मसाला प्रतिबंध की अधिसूचना जारी होते ही सिलीगुड़ी के थोकबाजार माल की कमी को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म हो गया। इसलिए एक रजनीगंधा और तुलसी की कीमत 25 रुपए से बढ़कर 30 रुपये हो गया। हालांकि कुछ फुटकर बिक्रेता अभी पुराने रेटपर ही बेच रहे हैं।