यहां आॅपरेशन के बाद डाक्टरों के हाथ धुलने का पानी नही
मुंबई: मराठवाड़ा में सूखे की स्थिति दिन ब दिन गंभीर होती जा रही है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था को झकझोरने और किसान आत्महत्याओं के बाद अब स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ा गंभीर संकट भी पैदा हो गया है। लातूर जिले की पांच लाख से भी ज्यादा आबादी इसकी चपेट में आती दिख रही है।
लातूर राज्य के सबसे ज्यादा सूखा प्रभावित जिलों में से है. द इकॉनामिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक यहां इसके चलते डॉक्टरों को भी बहुत दिक्कत हो रही है। वे ऑपरेशन टाल रहे हैं क्योंकि उससे पहले हाथ धोने के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं है. आगे गर्मी बढ़ने के साथ समस्या और भी गंभीर होने की आशंका है।
लातूर में थोड़ा बहुत पानी बचा है और उसके लिए भी पूरा जिला टैंकरों के सहारे है. अखबार से बात करते हुए लातूर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक गुगाले कहते हैं, ‘हमें टैंकर के पानी पर निर्भर रहना पड़ता है. अगर हम आज कोई टैंकर बुलाते हैं तो वह दो-तीन बाद आता है. हालात बहुत खराब हैं. टैंकरों को भी पानी जुटाने में बहुत मुश्किल हो रही है क्योंकि उन्हें यह दूर-दराज के इलाकों में स्थित बोरवैलों से मिलता हैं.’ दीपक कहते हैं कि 15 दिन बाद तो उनके लिए इमरजेंसी केस देखना भी मुश्किल हो जाएगा और किसी तरह बस ओपीडी ही चल सकेगी.
लातूर में ज्यादातर डॉक्टरों का कहना है कि सर्जरी से पहले हाथ धोने के लिए भी पानी के लाले हैं. मजबूरी में अस्पतालों को साफ-सफाई को लेकर समझौता करना पड़ रहा है. कुछ ऑपरेशन टाले जा सकते हैं लेकिन, गर्भवती महिलाओं के मामले में ऐसा नहीं हो सकता. अखबार से बात करते हुए अपना मैटरनिटी क्लीनिक चलाने वाली स्नेहल देशमुख कहती हैं, ‘हम डिलिवरी के लिए होने वाली सर्जरी (सी सेक्शन) नहीं टाल सकते. मैटरनिटी अस्पतालों को काफी पानी चाहिए होता है.’ वे यह भी बताती हैं कि सिजेरियन डिलिवरी के बाद वे जल्द से जल्द महिलाओं को घर भेजने की कोशिश कर रही हैं.