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Bihar

किसानों की समस्या दूर करने से आएगी खुशहाली

Posted on: Sat, 07, Apr 2018 9:50 PM (IST)
किसानों की समस्या दूर करने से आएगी खुशहाली

मुज़फ्फरपुर (रमन कुमार साहु) तिरहुत प्रमंडल के बगहा में शनिवार को नगर भवन में किसान प्रकोष्ठ के सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज से ठीक 100 साल पहले नील की खेती करने वाले किसानों की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चम्पारण आए थे। तब विरोध अंग्रेजी हुकूमत और उनकी नीतियों का करना था।

चम्पारण की माटी से उठी आवाज ने देश की आजादी की लड़ाई में चिगारी का काम किया। 100 साल गुजर गए। आज भी यदि कोई समस्या ग्रस्त शोषित वर्ग है तो वह है किसान। किसानों की समस्या का हल निकाले बिना राज्य और देश का विकास संभव नहीं है। रालोसपा सरकार में रहकर किसानों के हित में यथासंभव आवाज बुलंद कर रही है। किसानों की खुशहाली के लिए यह आवश्यक है कि देश से जाति आधारित राजनीति को पूर्णतः समाप्त करना होगा। समस्याओं को लेकर आक्रोश प्रकट करने वाले किसान चुनावी दौर में ब्राह्मण, राजपूत, भूमिहार, बढ़ई, सहनी, धोबी, यादव आदि जातियों में बंट जाते हैं इस सोच से ऊपर उठकर उस वक्त भी किसान बने रहने की जरूरत है। किसान हित में काम करने वाले को आगे बढ़ाए, निश्चित रूप से देश के किसान आर्थिक रूप से संपन्न हो जाएंगे।

इससे पूर्व रालोसपा किसान प्रकोष्ठ महासम्मेलन का शुभारंभ केन्द्रीय मंत्री कुशवाहा के साथ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दशई चौधरी, प्रदेश अध्यक्ष भूदेव चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव अरुण कुशवाहा, संयुक्त सचिव सुरेंद्र कुशवाहा, जिलाध्यक्ष विजय कुमार पांडेय समेत अन्य आगत अतिथियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। इसके बाद फूल माला पहनाकर और अंगवस्त्र ओढ़ाकर सभी अतिथियों का स्वागत स्थानीय पार्टी पदाधिकारियों ने किया। सभा का संचालन विजय कुमार पांडेय ने किया। सुरेंद्र कुशवाहा ने किसानों को उनके मेहनत के अनुरुप फसलों का मूल्य नहीं मिल रहा। विजय पांडेय ने कहा कि गन्ना किसानों को समय से न तो पर्ची मिल पा रही है और ना ही भुगतान। भूदेव चौधरी ने कहा जाता है कि आत्मा अजर-अमर अविनाशी है। यदि ऐसा है तो फिर आज चम्पारण ही नहीं पूरे देश के किसानों की आर्थिक दुर्दशा को देखकर राष्ट्रपिता बापू की आत्मा दुखी होगी। देश में किसान आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या का रहे हैं। 1947 से अबतक किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।

रालोसपा ने किसान सम्मेलन के बाद एक ज्ञापन सरकार को भेजकर अपनी मांगों से अवगत कराया। जिसमें बंदोबस्ती की जमीन की खरीद-बिक्री पर लगी रोक हटाने, कृषि कार्य में लगाए जाने वाले मजदूरों को मनरेगा से भुगतान करने, निबंधन शुल्क को कम करने और बैंक की शाखाएं बढ़ाने, बगहा अनुमंडल में नया चीनी मिल स्थापित करने, पुराने और नए गन्ना पर्चियों का भुगतान करने, किसानों के खेत तक बिजली की व्यवस्था करने, पैक्स में कृषि मंडी की स्थापना करने, केसीसी ऋण को माफ करने, शिक्षा की स्थिति में सुधार करते हुए विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना करने, एक समान शिक्षा प्रणाली लागू करने, स्वामित्व की भूमि पर अतिक्रमणकारियों से निपटारे हेतु सिविल फा‌र्स्ट कोर्ट की स्थापना करने, पंचायत राज्य अधिनियम की धारा 20 (04) को लागू करने आदि मांगे प्रमुख हैं।




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