परिचय-कथा कहती साध्वी पूजा शास्त्री
प्रतापगढ़ (शिवेश शुक्ला): मानव जीवन में समस्याओं का होना स्वाभाविक है। समस्याओं से घबराना नहीं बल्कि उनके निराकरण का उपाय सोचना चाहिये। मन एकाग्र होने के बाद समस्याआं के निराकरण का मार्ग हमारे अन्दर से ही निकलता है। उक्त बातें नगर के सहोदरपुर पूर्वी में चल रही श्रीमद भागवत कथा के पांचवे दिन श्रोताओं को सम्बोधित करते हुये कथा व्यास साध्वी पूजा शास्त्री जी ने कहीं। श्रीमद्भागवत के महत्व को बताते हुये उन्होने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता भगवान की वाणी है, जिसमें सभी प्रश्नों का उत्तर व सभी समस्याओं का समाधान निहित है। पूतना प्रसंग पर उन्होने कहा कि पूतना नाम की राक्षसिन भगवान को जहर पिलाकर मारने के लिये आयी थी। भगवान उसे दण्ड देने की जगह मुक्ति का मार्ग दे दिया। उसके मरने के बाद जब शव जलने से उसके धूंए में सुगन्ध उठा तो लोगों ने यह प्रश्न उठाया कि पूतना जैसी राक्षसिन के शरीर से सुगन्ध कैसे उठ रही है। पूतना अनजाने में ही भगवान श्रीकृष्ण का स्पर्ष कर गयी। जिसको भगवान स्पर्ष कर दें उसका समस्त दोश व पाप स्वतः दूर हो जाता है। मानव गाय को मां मानकर उसकी सेवा करता है, किन्तु राक्षस गाय की मांस खाता है। उन्होने गोमूत्र के महत्व को बताते हुये कहा कि श्री कृष्ण को गोपिकाओं ने जब राक्षसी पूतना के शरीर से उठाया तो गोपिकाओं ने उन्हे गोमूत्र का सेवन कराया। गोमूत्र के सेवन से राक्षसी पूतना के शरीर के जहर का प्रभाव दूर हो गया। श्री कृष्ण का बाल लीला का भी बहुत ही रोचक वर्णन किया। श्री कृष्ण को घुटनो के बल चलने तथा ऊफल से बांधने की कथा को सुनकर श्रोता मंत्र मुग्ध हो गये। गोवर्धन पूजा को कहते हुए पूजा शास्त्री जी ने बताया कि इन्द्र जैसे घमण्डी देवता का भी घमण्ड गोप ग्वालो के साथ मिलकर बालकृष्ण ने तोड़ा। इसके उपरान्त गोवर्धन पूजा के साथ आरती हुई। उसके उपरान्त कथा के पाचवें दिन का समापन हुआ। इस मौके पर उप जिलाधिकारी सदर जेपी मिश्र, पूर्व विधायक बृजेश मिश्र ‘‘सौरभ’’ पूर्व विधायक लक्ष्मी नारायण गुरूजी, जवाहर लाल श्रीवास्तव, बी0एन0 पाण्डेय, मलय कुमार सिंह, विनोद सिंह, कन्हैया लाल दूबे, श्री नारायण सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, अशोक सिंह, गिरिजेश, उज्जवल, प्रमोद तिवारी समेत तमाम श्रोतागण मौजूद रहें।