लम्बे समय तक याद रहती है नेकी और इंसानियत
बिजनौर (फैसल खान, शेर खान) जोगीरम्पुरी दरगाह पर आयोजित तीन दिवसीय मातमी मजलिसों के आखिरी दिन मातम का प्रदर्शन किया गया। लहूलुहान जायरीनों के लबों पर बस या हुसैन या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। वहीं, दरगाह पर पहुंचकर अकीदतमंदों ने जियारत करते हुए दुआएं मांगीं। रविवार सुबह शमसुल हसन हॉल में मातमी मजलिसों का सिलसिला शुरू हुआ, तो दरगाह ए औलिया नजफे हिद का माहौल गमगीन हो गया। मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना हामिद हसन मुर्तजवी ने कहा कि इंसान को इंसानियत के लिए काम करना चाहिए। इसलिए कि इंसानियत सबसे बड़ा मजहब है। इंसानियत सबसे बड़ा दीन है।
नेकी करने और इंसानियत के लिए काम करने वालों को लंबे समय तक याद किया जाता है। इंसान जिस दिन पैदा हुआ है, जिस्म से निकलती हरेक सांस उसे मौत के करीब लेती जाती है। इंसान को चाहिए कि वह सांसें खत्म होने से पहले ऐसे काम कर जाए कि उसकी रूह को सुकून मिल सके। नजीबाबाद जोगीरम्पुरी दरगाहे ए आलिया पहुँची मुख्तार अब्बास नकवी की बहन, अल्पसंख्यक वैलफेयर सोसायटी की अध्यक्ष माहिरा नकवी ने कहा इंसनियत से बड़ा कोई मज़हब नही है। हर धर्म की मूल अवधारणा इंसानियत पर आधारित है। अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश के कोषाध्यक्ष तनवीर रिजवी, जीशान हैदर रिज़वी सहित तमाम लोग मौजूद रहे।