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Uttar pradesh

जमीन पर उतरी ‘आकाशमंडल’ की अनुपम छटा

Posted on: Sun, 05, Nov 2017 9:32 PM (IST)
जमीन पर उतरी ‘आकाशमंडल’ की अनुपम छटा

बनारसः (विकास राय) पौराणि‍क सप्‍तपुरि‍यों में से एक काशी नगरी में दैवीय भव्‍यता के साथ देव दीपावली का महापर्व मनाया गया। इस पुण्‍य अवसर पर जैसे ही आकाश में भगवान भास्ष्कर अस्‍त हुए देवाधि‍देव महादेव काशी वि‍श्‍वनाथ के माथे की शोभा बढ़ाने वाले काशी के अर्द्धचंद्राकार घाटों की आठ कि‍लोमीटर लंबी श्रृंखला लाखों दीयों की रोशनी से जगमग हो गई। घाटों की छटा भी ऐसी मानो पूरा आकाशमंडल साक्षात बनारस के घाटों पर उतर आया हो। आदि‍केशव घाट से शुरू हुई दीयों की जगमगाहट भैंसासुर घाट, मेहता घाट, मणि‍कर्णि‍का घाट, राजेन्‍द्र प्रसाद घाट, दशाश्‍वमेध घाट, शीतला घाट, हरि‍श्‍चंद्र घाट, भदैनी घाट सहि‍त अस्‍सी घाट तक अलौकि‍क छटा बि‍खेर रही थीं। हाल ही में दुनि‍या को अलवि‍दा कह गईं प्रख्‍यात ठुमरी गायि‍का, बनारस घराने की शान और हम सबकी प्‍यारी पद्मभूषण गि‍रि‍जा देवी ‘अप्‍पा जी’ की याद में अलौकि‍क गंगा आरती के आयोजन के साथ देव दीपावली कार्यक्रम का भव्‍य शुभारंभ कि‍या गया। इस मौके पर स्‍वर्गीय गि‍रि‍जा देवी की 20 फिट ऊंची तस्‍वीर वि‍शेष रूप से लगाई गई थी।

काशी के सभी होटल लाज धर्मशाला पहले ही फुल हो गये थे। देव दीपावली के लिए छोटी बडी नौका भी एक माह पहले से ही बुक हो गयी थी। इस मौके पर हजारों की संख्‍या में वाराणसी सहि‍त देश-वि‍देश के नागरि‍क काशी की देव दीपावली का नजारा देखने घाटों पर जुटे रहे। देव दीपावली की पौराणि‍क मान्‍यता के बारे में काशी अन्नपूर्णा मंदिर के महन्त श्री रामेश्वर पूरी जी ने बताया कि‍ यह पर्व काशी की प्राचीन संस्कृति का एक खास अंग है। देव दीपावली का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। मान्‍यता है कि‍ जब कार्तिक मास में त्रिपुरा सुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार शुरू किया तब भगवान विष्णु ने इस क्रूर राक्षस का वध इसी दिन किया था। इस के बाद हर्ष से भरे देवगणों ने कार्ति‍क की पूर्णि‍मा के दि‍न दीपावली मनानी शुरू की। मान्यताए है काशी के गंगा घाट पर इस दिन देवलोक के सारे देवी-देवता अदृश्य रूप में मौजूद रहते हैं।




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