भूख से तड़प रहे बेसहारा पशु, साहब की नजर दूध और गोबर पर
देवरिया, ब्यूरो (ओपी श्रीवास्तव) उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ की गौ सेवा एवं निराश्रित जानवरों की देखभाल एवं उनकी सेवा सुश्रुषा की मंशा को जिम्मेदार अफसर ही पलीता लगा रहे हैं। आलम ये है कि गोबर से लेकर दूध तक सबकुछ अधिकारी अपनी सम्पत्ति समझ बैठे हैं। खाने के नाम जानवरों के लिये बामुश्किल भूसे की व्यवस्था हो पा रही है, हरा चारा एवं खुद्दी खली की बात बहुत दूर है।
जानवरों का जो गोबर निकल रहा है उसे बड़े अधिकारी अपने डाक बंगलों में जो धान गेहूं की निजी फसल तैयार करते हैं उसके लिए मनमाने तरीके प्रयोग कर रहे हैं। इतना ही नही जब एक गाय ने एक बछड़े को कुछ माह पूर्व जन्म दिया और दूध देना शुरू किया तो जिले के एक बड़े अधिकारी ने उसे अपने यहां मंगवा लिया। वह और उनका परिवार दूध पीकर स्वास्थ्य लाभ ले रहा है। गायों की सेवा करने वाले एक कर्मचारी ने अपना नाम न प्रकाशित किए जाने की शर्त पर कहा कि जब वह गाय दूध देना बंद कर देगी तो धीरे से साहब उस गाय को वापस गो सदन पर भिजवा देंगे। एक गौ सेवक एवं समाजसेवी के रूप में विख्यात संजय पाठक के अनुसार देवरिया जिला मुख्यालय के रामगुलाम टोला में स्थित कान्हा गौ सेवा आश्रय स्थल पर इस समय करीब 70 गोवंश रहते है।
एक गोवंश पर प्रतिदिन मात्र रू. 30 के हिसाब से खर्च आता है। जबकि यहां पर तैनात 9 कर्मचारी हैं जिनको प्रतिमाह करीब एक लाख रुपए मानदेय के रूप में प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाता है। इस गो वंश आश्रय स्थल पर कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि कुछ समाजसेवियों तथा दान करने वाले लोगों की सहायता की बदौलत कान्हा गो आश्रय चल रहा है। वरना सरकार के भरोसे तो यह कभी का बंद हो जाता। जबकि दूसरी तरफ समाजसेवी एवं गो सेवक संजय पाठक आक्रोशित होकर कहते हैं कि सरकार का दावा केवल कागजी है वह निराश्रित एवं आश्रय विहीन गोवंश की देखभाल के सम्बन्ध में खर्च को उठाने में विफल हैं। इस संबंध में जिलाधिकारी से वार्ता करने की कोशिश की गई लेकिन उससे बात नहीं हो पाई।