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Uttar pradesh

ऊंचाहार कोतवाली में हर कोई लगाता है हाजिरी

Posted on: Fri, 13, Sep 2019 8:44 AM (IST)
ऊंचाहार कोतवाली में हर कोई लगाता है हाजिरी

रायबरेली ब्यूरोः (आकाश अग्निहोत्री) कहने को तो पुलिस कोतवाली जाने के नाम से लोगो के पसीने छूट जाते है, और हो सकता है बहुते सम्भ्रान्त परिवारों ने जहां कोतवाली का मुँह तक न देखा हो, लेकिन रायबरेली के ऊंचाहार की कोतवाली में गुरुवार को लोगो का तांता लगा रहता है, और यह लोग कोई और नही मां काली के भक्त है।

बात हम कर रहे है ऊंचाहार कोतवाली की। यहां परिसर में काली मां का मंदिर है। जिसमें बेशकीमती धातु और पत्थर से बनीं काली मां की एक आदमकद प्रतिमा स्थापित है। मंदिर से लोगों की आस्था और भक्ति का पुरातन जुड़ाव है। विशेषकर महिलाओं की तो अटूट श्रद्धा है। हर गुरुवार को सैकड़ों महिलाएं जुटती हैं। लाई, चना, मिठाई के साथ मां की पूजा-अर्चना होती है। महिलाओं की एक टोली में न्यूनतम 14 से लेकर 28 की संख्या होती है। गुरुवार को औसतन 15 से बीस टोलियां भजन और कीर्तन करती हैं। सिलसिला पूरे दिन चलता है।

हजारों वर्ष पुरानी है प्रतिमा : कोतवाली के अंदर स्थापित काली मां की प्रतिमा हजारों वर्ष पुरानी है। यह प्रतिमा पहले क्षेत्र के पूरे तीर गंगा घाट पर स्थापित थी। प्रतिमा पर धातु तस्करों की नजर पड़ी। तो यह चोरी हो गई। इसका वजन अधिक होने के कारण चोर इसे बहुत दूर तक नहीं ले जा सके। सुबह जब काफी दूर प्रतिमा मिली तो इसे उठाकर यथावत स्थापित किया गया। इस प्रकार से प्रतिमा की चोरी का तीन बार प्रयास किया गया। उसके बाद प्रतिमा को सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस कोतवाली उठा लाई।

जहां कई साल तक रखी रही। आस्था को देखते हुए पुलिस ने इसे कोतवाली के अंदर एक मंदिर बनाकर स्थापित करवा दिया। तब से पूजा की परंपरा शुरू हुई। सुनने में अटपटा लग सकता है, लेकिन देखने में अद्भुत है। क्योंकि देश की यही पहचान भी है जहां, संस्कृति, परंपरा अपने सहज अंदाज में आज भी जीवित हैं। बहुत कुछ बदला लेकिन, मान्यताएं अटूट हैं क्योंकि धर्म-अध्यात्म उनकी आत्मा सरीखी हैं। जिस कोतवाली में यूं लोग जाने से कतराते हैं, उसी खाकी के परिसर में हर गुरुवार मातारानी के भक्तों की भीड़ उमड़ती है।




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