शिक्षा ऐसी हो जो देश, समाज को खण्डित न करे-राज्यपाल
सिद्धार्थनगर, उ.व्र.। राज्यपाल श्रीमती आनन्दी बेन पटेल ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु, में विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह में उपस्थित होकर विश्वविद्यालय की गरिमा को गौरवान्वित किया। श्रीमती आनन्दी बेन पटेल, कुलपति प्रो0 हरि बहादुर श्रीवास्तव ने द्वीप प्रज्ज्वलित कर एवं मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। इसके पश्चात छात्र, छात्राओं ने बन्दे मातरम गीत तथा सरस्वती बन्दना प्रस्तुति की।
राज्यपाल ने पंचम दीक्षान्त समारेह के अवसर पर अपने सम्बोधन में कहा कि महात्मा गौतम बुद्ध का बचपन का नाम सिद्धार्थ था इसी नाम पर जनपद तथा विश्वविद्यालय का नाम सिद्धार्थ रखा गया है। भगवान गौतम बुद्ध का नमन करती हूं। बच्चो का ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो उनके जीवन में खुशहाली लाये। ईश्वर तुल्य देश और समाज को खण्डित न करने की शिक्षा दी जाये। मै प्रणाम करती हू भगवान गौतम बुद्ध की धरती को, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय पूरे विश्व में अपनी पहचान का केन्द्र बने। उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र, छात्राओ को शुभकानाएं देते हुए सन्देश दिया कि अच्छे इंसान बनकर अपना जीवन जिये तथा अपनी मानवता का ज्ञान दे।
विश्वविद्यालय में कोई भी नये विषय की शुरूआत करने में अनेको कठिनाईयां सामने आती है, उन कठिनाईयों को विश्वविद्यालय परिवार दूर करते हुए बच्चो का अच्छी शिक्षा दे। दीक्षान्त समारोह में विश्वविद्यालय द्वारा स्नातक, स्नातकोत्तर कला संकाय, विज्ञान संकाय, विज्ञान संकाय तथा कृषि विज्ञान संकाय तथा अन्य विषयों में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले 33 छात्र, छात्राओ को कुलाधिपति द्वारा गोल्ड मेडल एवं डिग्री प्रदान की गयी। विश्वविद्यालय के निकटवर्ती प्राथमिक विद्यालय बर्डपुर, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, बर्डपुर अपर प्राथमिक विद्यालय बूड़ा के कुल 50 छात्र, छात्राओ को बैंग और पुस्तके प्रदान की गयी। उन्होने सभी लोगो से अपील की कि महिलाओ को शिक्षित बनाये। देश में 50 प्रतिशत महिलाये है। महिलाओ की सहभागिता से देश को आगे बढ़ाने में इनकी साझीदारी है।
नई शिक्षा नीति लागू होने से विभिन्न विषयों में बदलाव हुआ है। सभी अभिभावको से अपील की कि अपने बच्चो को अवश्य पढ़ाये। समस्याओ को दूर करने के लिए युवाओ का प्रयास करने की आवश्यकता है। लाखो विद्यार्थियों द्वारा नवाचार करके अच्छा प्रयास कर देश के विकास में अपना योगदान दे रहे है। नेपाल बार्डर के करीब में जनपद के कुल 56 गांव है। लोगो से अपील किया कि सभी लोग समाज में आगे बढ़कर आंगनबाड़ी केन्द्रो में 30 हजार की एक किट खरीद कर अपना योगदान दे। बुराईयों को देखकर उससे लड़कर आगे बढ़े। दहेज प्रथा समाज के अन्दर अभिशाप है। इसको समाप्त करने के लिए सभी लोग आगे बढ़कर कार्य करे जिससे दहेज प्रथा अभिशाप को समाप्त किया जा सके। उन्होने हाथ जोड़कर बिनती की कि दहेज प्रथा अभिशाप को समाप्त करे। अन्त में सभी लोगो को बधाई देकर अपना सम्बोधन समाप्त किया।