महाशिवरात्रि पर यहां जुटेंगे लाखों श्रद्धालु
गाजीपुर व्यूरो (विकास राय) महाशिवरात्रि के पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालु अयोध्या आकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर अपने मनोरथ पूर्ण करने की प्रार्थना करेंगे। इससे पहले इस तिथि पर ही भगवान भोलेनाथ का विधि विधान से विवाहोत्सव मनाया जाएगा। इस अवसर पर भगवान की भव्य बारात भी धूमधाम से पूरे नगर में निकाली जाएगी।
उधर पौराणिक ग्रंथों के अनुसार नागेश्वरनाथ के रूप में प्रसिद्ध मंदिर में स्थापित शिवलिंग की स्थापना भगवान के पुत्र कुश महाराज ने किया था। उनकी स्मृति में नागेश्वरनाथ मंदिर के परिसर में लव-कुश की भी प्रतिमा यहां स्थापित है। उनकी जयंती प्रत्येक सावन शुक्ल पूर्णिमा को मनाई जाती है। ग्रंथों के अनुसार एक समय सरयू में विहार करते हुए महाराज कुश की बहुमूल्य अंगूठी जल में ही विलीन हो गई। यह अंगूठी एक नाग कन्या को प्राप्त हुई तो उसने अंगूठी को ले जाकर नाग राजा की पुत्री को सौंप दिया। इस बीच महाराज कुश ने अंगूठी को ढूंढने का बहुत उपाय किया लेकिन अंगूठी उन्हें नहीं मिली।
फिर उन्होंने ध्यान लगाया तो अंगूठी उन्हें नागराजा के कन्या के हाथों में दिखाई पड़ी। उन्होंने नागकन्या से अंगूठी प्राप्त करना चाहा लेकिन नागराजा की कन्या अंगूठी देने को नहीं तैयार हुई। इससे कुपित महाराज कुश ने अग्निबाण का संधान कर पूरे नाग लोक को भष्म करने की ठानी। इससे घबराए नागराजा ने भगवान भोलेनाथ से प्रार्थना की और महाराज कुश के कोप से बचाने की गुहार लगाई। नागराजा की प्रार्थना से प्रसन्न भगवान शंकर स्वयं प्रकट हो गए और उन्होंने महाराज कुश को समझा-बुझाकर शांत कराया। इसके साथ ही नागराजा की कन्या से उनका विवाह भी करा दिया। विवाह के उपरांत महाराज कुश ने भगवान शंकर से सरयू तट पर ही उनके वास करने का अनुरोध किया।
भगवान शंकर ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया। इसके उपरांत महाराज कुश ने वहीं शिवलिंग को स्थापित किया। इस स्थान के प्रति श्रद्धालुओं में गहरी आस्था है। यहां सोमवार के अतिरिक्त प्रत्येक माह की त्रयोदशी पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। बीएचयू के भूगर्भ वैज्ञानिकों की मान्यता है कि अयोध्या क्षेत्र की नाभि अथवा उसका ऊर्जा केन्द्र भी नागेश्वरनाथ मंदिर के ही आसपास पाया गया है। इस क्षेत्र में विशेष शोथ के लिए एक प्रोजैक्ट भी तैयार कर अयोध्या शोध संस्थान व डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के माध्यम से भारत सरकार को प्रेषित किया गया है।