अब नशामुक्त होगा उत्तराखण्ड
देहरादून: उत्तराखंड के युवाओं की नसों में नशे का जहर कौन पहुंचा रहा है। नशे के कारोबारियों का नेटवर्क किससे जुड़ा है। पुलिस की पूरी कोशिश है कि वह प्रदेश को नशा मुक्त बनाए। पंजाब की तरह यहां भी बड़े लोग इस अभियान में शामिल हैं।
नशा मुक्त प्रदेश में स्टडी डीजीपी एमए गणपति की पहल पर शुरू हुई है। डीजीपी का मानना है कि अध्ययन पूरा कर पड़ोसी राज्यों पंजाब, हिमाचल हरियाणा और यूपी से मिलकर नशे के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा। गणपति का मानना है कि उनके पास टुकड़ों में पहुंच रही सूचनाएं चैंकाने वाली हैं। यदि अब ठोस कदम नहीं उठाए गए तो उत्तराखंड में पंजाब जैसे हालात बन जाएंगे।
नशे के खिलाफ अब तक बातें तो खूब हुई, लेकिन किसी सरकार ने नशाखोरी को रोकने के साथ बड़े सौदागरों तक पहुंचने की ठोस कार्ययोजना तैयार नहीं हुई। स्पेशल टास्क फोर्स और पुलिस की कार्रवाई भी नशा पहुंचाने वाले बिचैलियों तक समिति रही है। डीजीपी एमए गणपति नशे के कारोबार को लेकर सार्वजनिक रूप से चिंता जता चुके हैं। इसी कड़ी में काम्युनिटी पुलिसिंग के जरिये खासतौर से देहरादून में 11 जुलाई को नशे के खिलाफ मुहिम शुरू हो रही है।
डीजीपी का मानना है कि मौजूदा समय में पुलिस की सबसे बड़ी चुनौती कमजोर कड़ियों को जोड़ने की है। युवाओं तक पहुंचने वाले मिडिल मैन तक तो पुलिस पहुंच रही है, लेकिन खेप कहां से सप्लाई की जाती है। सप्लायर का यहां कितना बड़ा गठजोड़ है और उसमें कौन लोग जुड़े हैं यह पता लगाना सबसे जरूरी है। पुलिस द्वारा पकड़े जाने वाले हर सौदागर की अब कुंडली तैयार होगी।