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गुजरात चुनावः जातिगत समीकरण साधने में जुटे प्रत्याशी

Posted on: Wed, 23, Nov 2022 5:46 PM (IST)
गुजरात चुनावः जातिगत समीकरण साधने में जुटे प्रत्याशी

भरुच, गुजरातः (बीके पाण्डेय) चुनावी रण के प्रथम चरण के लिए मतदान में अब एक सप्ताह का ही समय शेष रह गया है वहीं विविध राजनीतिक दलों के साथ निर्दलीय भी विपक्षियों की पतंग काटने के लिए अपने जातिगत राजनीतिक मांझे को और ज्यादा धार देने में जुट गये हैं। चुनाव में इन दिनों जातिगत समीकरण की लहरे तेजी से उठने लगी है। जैसे जैसे चुनाव की तिथि समीप आयेगी यह ज्वार और ज्यादा तेज हो जायेगा।

मतदाता रुपी चुनावी ज्वार में किस प्रत्याशी की नौका पार होगी यह तो आठ दिसंबर को पता चलेगा मगर दिन प्रतिदिन चुनाव में खासकर जिले के ग्रामीणांचल में गर्मी आती दिखने लग गई है। भरुच जिले में एक ओर कांग्रेस जहाँ वागरा विस क्षेत्र में अपने हाथ से सरके किले को वापस हाथ में करने के लिए बेचैन दिख रही है वहीं कांग्रेस के गढ़ जंबूसर में फ तह करने के लिए भाजपा लालायित दिख रही है। छोटू वसावा के गढ़ झगडिया में किसी की दाल इस बार भी गलती नही दिख रही है। भरुच जिले की भरुच विस व अंकलेश्वर विस सीट जो अभी भाजपा के पास है की घेराबंदी और ज्यादा करने में भाजपा प्रत्याशी जुट गये हैं।

एक दिसंबर को भरुच जिले की पांच विधानसभा सीट भरुच,अंकलेश्वर,झगडिया,वागरा, जंबूसर विस सीट के लिए मतदान होगा। भाजपा ने अंकलेश्वर में ईश्वर पटेल व वागरा में अपने अरुण सिंह रना जो कि दोनो वर्तमान विधायक हैं क ो रिपीट किया है जबकि भरुच के वर्तमान विधायक दुष्यंत पटेल का टिकट कांटकर वर्ष 2002 में विधायक रह चुके व विहिप नेता रमेश मिस्त्री पर दांव खेला है। कांग्रेस ने जंबूसर के विधायक संजय सोलंकी को जंबूसर से तो वागरा में पिछली बार कम वोट से चुनाव हार चुके सुलेमान पटेल को चुनावी रण में उतारा है।

झगडिया से इस बार आठवीं बार निर्दल की हैसियत से वर्तमान विधायक छोटू वसावा चुनावी जंग में उतरे हैं। भरुच जिले की सभी पांचों विस सीट के लिए चुनाव प्रचार काफी तेज गति से चल रहा है। भाजपा की ओर से एक से बढक़र एक दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार के लिए भेज दिया गया था। कांग्रेस चुनाव प्रचार के मामले में भाजपा से काफी ज्यादा पीछे चल रही है। कांग्रेस का अभी तक कोई भी बड़ा नेता प्रत्याशियों के प्रचार के लिए नही आया है। चुनाव जीतने के लिए प्रत्याशियों की ओर से हर हथकंडे का उपयोग किया जा रहा है। जातिगत रुप से मतदाताओं को एक करने व अपने जातिगत मांझे की धार को ज्यादा तेज बनाकर विपक्षी प्रत्याशी की डोर काटने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया जा रहा है।




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