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Rajasthan

उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला

Posted on: Wed, 06, Dec 2017 10:11 AM (IST)
उद्यान विभाग में करोड़ों का घोटाला

श्रीगंगानगर ब्यूरोः (विनोद सोखल) उद्यान विभाग में सोलर संयंत्र स्थापित करने को लेकर करोड़ों रुपयों का घेटाला किया गया है। मामले में निष्पक्ष जांच हुई तो अकेले सहायक निदेशक बीएस सिद्धू ही नहीं बल्कि अन्य अधिकारी भी चपेट में आयेंगे, क्योंकि करोड़ों रुपयों का घोटाला करने की हिम्मत अकेले एक अधिकारी में नहीं हो सकती।

गत दिवस लाखों रुपयों की रिश्वत लेने का वीडियो वायरल होने के बाद सहायक निदेशक को राज्य सरकार ने तुरंत प्रभाव से निलम्बित कर दिया। रविवार को ही सहायक निदेशक के पद पर पीएचडी डिग्रीधारी केशव कालीराणा ने विधिवत रूप से चार्ज संभाल लिया। सहायक निदेशक के पद पर रहते हुए बलदेवसिंह सिद्धू ने कई कारनामे किये हैं, जिसकी धीरे-धीरे परतें उधड़ रही हैं। नियमानुसार कोई भी कम्पनी यदि 100 सोलर संयंत्र किसानों के खेतों में स्थापित करती है तो उसे जिला मुख्यालय पर एक सर्विस सैंटर खोलना पड़ता है, जिसमें तकनीकी कर्मचारियों की नियुक्ति भी करनी होती है। कृषि विभाग की गाइड लाइन में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि सर्विस सैंटर खोला जाये और इस संबंध में विभाग को अवगत करवाया जाये। सहायक निदेशक ने सर्विस सैंटर खोलने के मामले में भी भारी गड़बड़ी की।

उन्होंने राज्य सरकार को यह अवगत करवा दिया कि श्रीगंगानगर में सर्विस सैंटर स्थापित है और यहां फलां तकनीकी कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि जिला मुख्यालय पर किसी भी कम्पनी का एक भी सोलर संयंत्र सर्विस सैंटर नहीं है। शिकायतकर्ता कपिलदेव का आरोप है कि सहायक निदेशक ने कम्पनी से भी सांठ-गांठ करके इस मामले में भी बड़ा घोटाला किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसान के खेत में लगा सोलर संयंत्र यदि खराब हो जाता है तो उसकी मोटर, पम्पसैट या प्लेटें खराब होती हैं तो उसे अहमदाबाद या जयपुर इन खराब उपकरणों को भेजना पड़ता है। ऐसी स्थिति में किसान को आर्थिक व मानसिक परेशानी से जूझना पड़ता है।

सवाल यह उठता है कि श्रीगंगानगर जिले में 100 नहीं बल्कि 3000 से अधिक सोलर संयंत्र किसानों के खेतों में स्थापित किये जा चुके हैं। उस हिसाब से तो विभिन्न कम्पनियों के यहां एक दर्जन सर्विस सैटर होने चाहिए थे। एक सर्विस सैंटर खोलने में कम्पनी का लाखों रुपयों का खर्चा आता है। इस पूरे मामले की जांच की जाये तो श्रीगंगानगर में कृषि विभाग के सबसे बड़े अधिकारी भी लपेटे में आ सकते हैं कि बिना उनकी अनुमति के गोलमाल कैसे हो गया। फिलहाल इस मामले की जांच जयपुर के उच्चाधिकारी को सौंपी गई है जो कल श्रीगंगानगर आयेंगे।




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