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भगवान राम का पवित्र चरित्र जीवनोपयोगी है- आचार्य मधुर...

Posted on: Tue, 24, Nov 2015 8:13 PM (IST)
भगवान राम का पवित्र चरित्र जीवनोपयोगी है- आचार्य मधुर...

प्रतापगढ़ (शिवेश शुक्ला): शहर के गोपाल मन्दिर में सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के अन्तिम दिन शनिवार को आचार्य मधुर ने कहा कि भगवान राम का चरित्र इतना पवित्र और जीवनोपयोगी है। उन्होने कहा कि कैवल्य रूप परम पद अत्यन्त, दुर्लभ है, किन्तु राम-नाम जप से मुक्ति बिना इच्छा किये भी आ जाती है। राम भक्ति रूपी मणि जिसके हृदय में बसती है उसे स्वप्न में भी तनिक भी दुख नहीं होता। उन्होने का कि सूपर्णखा ने जाकर रावण से बताया कि खर और दूषण दोनों मारे गये। रावण समझ गया कि भगवान नारायण का अवतार हो चुका है, अब हम बैर भाव करके ही इस संसार से मुक्ति पा सकते है। रावण संत भेष बनाकर राम की कुटिया पर गया, सीता का हरण हुआ। प्रभु श्रीराम मानव लीला करते हुए जंगलों में भटकते रहे, जहां हनुमान जी के द्वारा सुग्रीव से उनकी मैत्री हुई। राजा बालि को मारा, उसे भी ज्ञात हुआ कि भगवान नारायण ने अवतार ले लिया है। उसने कहा कि कोटि-कोटि मुनि, जतन करहिं, अंत राम मुख आवत नाहिं, बालि को मोक्ष प्रदान किया, हनुमान जी के द्वारा सीता का पता लगा। हनुमान ने सोने की लंका को जलाकर राख किया। रास्ते में लंकिनी का उद्वार किया। सीता जी को चूड़ामणि लाकर हनुमान जी ने दिया। जब हनुमान जी को रामजी गले लगाना चाहे, तब हनुमान जी ने उनके चरणों में गिर गये, और बोले दास की यही जगह है। समुद्र पर नल-नील ने राम नाम लिखकर पत्थर से सेतु बनाया। प्रभु श्रीराम ने रामेश्वरम की स्थापना करके लंका पर चढ़ाई किया। इन्द्रजीत, मेघनाथ एवं जय-विजय के अवतार रावण और कुम्भकर्ण का भगवान ने बध किया। माता-सीता की अग्नि परीक्षा हुई। अग्निदेव ने कहा कि मै और गंगा सर्वथा पवित्र है। उसी तरह यह सीता भी पवित्र है। कुबेर द्वारा विभीषण का राज्याभिषेक हुआ। कुबेर द्वारा दिये गये पुष्पक विमान पर बैठकर भगवान श्रंग्वेदपुर पहुंचे और केवट को लेकर भगवान अयोध्या नगरी पहुंचे। ज्ञान, वैराग्य, और भक्ति के प्रतीक भरत को अंक में लगाया। वशिष्ठ जी द्वारा राज्याभिषेक हुआ। अयोध्या में पुनः आनन्द का वातावरण बन गया। रामराज की स्थापना हुई।13000 वर्षो तक तब भगवान राज करके साकेत धाम को चले गये। कार्यक्रम में मुख्य रूप से ओम प्रकाश पाण्डेय, अनिरूद्व रामानुजदास, निर्मला पाण्डेय, बृजराज तिवारी, राममूर्ति तिवारी, शिव नारायण पाण्डेय, कैलाश खण्डेलवाल, अशोक शर्मा, राज नारायण सिंह, रमाकान्त तिवारी, मृदुला मिश्रा आदि मौजूद रहे।




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