• Subscribe Us

logo
08 मई 2024
08 मई 2024

विज्ञापन
मीडिया दस्तक में आप का स्वागत है।
समाचार > संपादकीय

हिन्दी पत्रकारिता पर विशेष ! ‘‘अखबारों पर बाजार का अतिक्रमण’’

Posted on: Mon, 30, May 2022 9:44 AM (IST)
हिन्दी पत्रकारिता पर विशेष ! ‘‘अखबारों पर बाजार का अतिक्रमण’’

हिन्दी पत्रकारिता के 195 साल पूरे हे गये। आज के दिन ही 1926 में पण्डित जुगल किशोर शुक्ल ने कलकत्ता से उदन्त मार्तण्ड साप्ताहिक अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। असल में यही हिन्दी पत्रकारिता की शुरूआत थी। इसीलिये हम 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाते हैं। हालांकि आर्थिक तंगी के कारण 79 अंकों के प्रकाशन के बाद 4 दिसंबर 1827 को यह अखबार बंद हो गया।

पत्रकारिता जनता को सचेत करती है, साथ ही उसे सुरूचिपूर्ण मनोरंजन भी प्रदान करती है। आज के युग में पत्रकारिता के भी अनेक माध्यम हो गये हैं; जैसे अखबार, पत्रिकायें, रेडियो, दूरदर्शन, वेब पत्रकारिता आदि। अपने आसपास की चीज़ों, घटनाओं और लोगों के बारे में ताज़ा जानकारिसों से अपडेट रहना मनुष्य का सहज स्वभाव है और जब तक मनुष्य का यह स्वभाव बना रहेगा पत्रकारिता का महत्व कम नही होगा। उदन्त मार्तण्ड की शुरूआत उस वक्त हुई थी जब अंग्रेजी हुकूमत का वो बर्बर दौर, था जिसमें भारतीय जनमानस गुलामी की मानसिकता में जीने को विवश थे।

पण्डित जुगल किशोर ने शायद ही ये कल्पना की होगी कि अगली सदी तक हिन्दी पत्रकारिता इतना सम्मानजनक स्थान हासिल करेगी और उसे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जायेगा। आजादी से लेकर आज तक भारत के निर्माण में हिन्दी पत्रकारिता का अतुलनीय योगदान रहा। लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि हिन्दी पत्रकारिता पूंजीवाद की ओर बढ़ने लगी है। अखबार को भी अब बाजार की जरूरत है। अखबार इसलिये छप रहे हैं क्योंकि उसमें विज्ञापन छप रहे हैं। देश की ज्वलन्त समस्याओं, जनता के दर्द, सत्ता प्रतिष्ठानों के अहंकार का प्रतिरोध करने की ताकत क्षीण होती जा रही है।

आपराधिक मामलों का कोर्ट में ट्रायल किये बगैर अहंकारी सत्ता द्वारा खुद फैसले सुना रही है, जाति धर्म के नाम पर समाज को टुकड़ों में बांटा जा रहा है, नफरतों की दीवार खड़ी की जा रही है। ऐसे में हिन्दी पत्रकारिता का महत्व कई गुना बढ़ जाता है लेकिन हिन्दी पत्रकारिता ने इस समय जो रूख अख्तियार किया है इसमे ऐसी उम्मीद करना बेमानी है। मुट्ठी भी पत्रकार और मीडिया संस्थान बचे हैं जो आदर्श पत्रकारिता के हिमायती हैं। बाकी लोगों ने अधिक से अधिक विज्ञापन अर्जित करने को अपनी कामयाबी का मापदंड मान लिया है। आज एक बार फिर हम हिन्दी पत्रकारिता दिवस मना रहे हैं। आज के दिन ज्यादा नही तो कुछ पत्रकारों और संस्थानों को यह सौगंध लेनी चाहिये कि हम पत्रकारिता के आदर्शों को कायम रखेंगे। ढेर सारी शुभकामनायें।


ब्रेकिंग न्यूज
UTTAR PRADESH - Basti: भैंस पर सवार होकर निकले थे नामांकन करने, प्रस्तावकों की वजह से चकनाचूर हो गया सपना फर्जी प्रमाण पत्र नौकरी कर रहे शिक्षक के खिलाफ केस दर्ज चुनाव निर्णायक स्थिति में, घोषणा पत्र को जन जन तक पहुचायें- देवेन्द्र निषाद Lucknow: मायावती ने आकाश आनंद से छीने सभी अधिकार, बीजेपी पर आग उगल रहे थे आकाश Deoria: चार इंच ज़मीन के लिये भाई को मार डाला