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साढ़े तीन किमी. कार से चल लेते महामहिम, तो बंच जाते सैकड़ों पेड़

Posted on: Wed, 24, Nov 2021 11:13 PM (IST)
साढ़े तीन किमी. कार से चल लेते महामहिम, तो बंच जाते सैकड़ों पेड़

अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय- हर साल पौधरोपण और वृक्षों की देखरेख पर सरकार करोड़ों रूपये खर्च करती है। पेड़ों की अवैध कटान को रोकने के लिये कड़े कानून बने हैं, जो लोग मनमानी करते हैं और वन विभाग की अनुमति के बगैर पेड़ों को काटते हैं उन्हे इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। दूसरी ओर यदि कोई सिस्टम के तहत पेड़ काटना चाहता है तो परमिट के लिये उसे अफसरों और दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं।

हैरानी की बात है कि महामहिम के आगमन पर कानपुर में सैकड़ों पेड़ काटकर धराशायी कर दिये गये। न कोई नियम न कानून। निजी स्वार्थ में हरियाली नेस्तनाबूत कर दी गयी। ये वे पेड़ थे जो 10 साल से भी पुराने थे। महामहिम के लिये हेलीपैड बनाना था इसलिये ये पेड़ काट दिये गये। एचबीटी यूनिवर्सिटी के शताब्दी समारोह में कानपुर आ रहे महामहिम अगर साढे तीन किमी. लम्बी यात्रा बाई रोड कर लेते तो ये सभी पेड़ बचाये जा सकते थे। लेकिन इसकी जहमत कौन उठाये, पेड़ काटना आसान लगा और इसे करके दिखा दिया। इनमें विलायती बबूल, पीपल और अनेक छायादार पेड़ थे।

पेड़ों को काटने के बाद बाकायदा सीमेन्ट और पत्थरों से इनकी जड़ों को छिपाया गया है। पेड़ काटने वाले हमारे देश के कर्णधार हैं। देश को 21 वीं सदी में ले जाने का भार इनके कंधों पर हैं। भारत विश्व गुरू बन रहा हैं, ऐसा लगता है कुछ महीने और साल बाकी हैं। कुछ साल बाद यह हिन्दू राष्ट्र भी बन जायेगा। इतने बड़े सपनों को पूरा करने की कीमत हर भारतीय चुका रहा है। अगर इन्ही रास्तों पर चलकर दूसरों के लिये हम प्रेरणा स्रोत और विश्व गुरू, हिन्दू राष्ट्र बन सकते हैं तो हमे लगता है जिम्मेदार लोग देश को सही रास्ते पर ले जा रहे हैं।

लेकिन इसके लिये जितना मूल्य चुकाया जा रहा है वह बहुत कम है। असली कीमत तो आने वाले दिनों में चुकानी होगी जिसके लिये हमे तैयार रहना चाहिये। हमे जहां तक लगता है अमर उजाला कानपुर के अंक में छपी खबर या ये संपादकीय महामहिम तक अवश्य पहुंचनी चाहिये, आखिर उनके आगमन के आगे पीछे का सच उन्हे भी जानना चाहिये, और यदि उन तक खबर पहुंचती है तो बेहतर होगा वे ऐसी गलतियों की पुनरावृत्ति पर रोक लगाने के लिये जिम्मेदारों का मार्गदर्शन करें जिससे पेड़ पौधों और जीव जंतुओं के प्रति दया और सम्मान का भाव हर भारतीय के जेहन में जिंदा रहे।


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