बस्तीः (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) विकास के नाम पर जनता को दिखायी जा रही तस्वीर महज़ धोखा है। सत्ताधारी दल के नेता गांव गांव घूमकर जनता को सरकार की उपलब्धियां बता रहे....
आगे पढ़ें »बस्तीः अशोक श्रीवास्तव की संपादकीयः जब हम छोटे थे, गांव के प्राइमरी स्कूल में पढ़ते थे, हमें अच्छी तरह याद है बाबूजी हमें स्कूल छोड़कर आते थे। हमारे स्कूल के मुंशीजी हमे....
आगे पढ़ें »बस्तीः (मीडिया दस्तक न्यूज़ नेटवर्क) भारतीय जनता पार्टी जिस प्रकार के विकास की राग अलाप रही है उसकी तस्वीर बड़ी भयावह है। कोई भी काम बिना कमीशनखारी के नही हो रहा है।....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीयः सत्ता में आते ही प्रदेशवासियों को गड्ढा मुक्त सड़कों का सपना दिखाने वाली योगी सरकार का ये वादा भी जुमला साबित हुआ। देखा जाये तो मुख्यमंत्री....
आगे पढ़ें »स्व. अरविन्द श्रीवास्तव पत्रकारिता जगत की आंधी थे, जिनकी लेखनी को रोक पाना किसी के वश में नही था। जिसने भी यह दुस्साहस किया, मुह की खाया। निहायत जिद्दी। काम के प्रति....
आगे पढ़ें »बस्ती (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) यूपी में खराब कानून व्यवस्था को लेकर योगी सरकार चौतरफा घिरती नज़र आ रही है। सरकार बदलने के बाद भी गुण्डों के हौसले आसमान पर हैं। ताजा....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीयः भारत में बढ़ती बेरोजगारी एक चिंता का विषय है। केंद्र की मोदी सरकार पर अब उंगलियां उठनी शुरू हो गयी हैं। रोजगार सृजन के मामले में यह सरकार अब....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय: हिन्दू युवा वाहिनी समेत अनेक संगठन गायों के संरक्षण को लेकर गंभीर रहे हैं। खास तौर से यूपी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार....
आगे पढ़ें »बस्ती (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) बीजेपी के प्रति एक आमधारणा बन चुकी है कि यह व्यापारियों की पार्टी है। मसलन बड़े व्यापारी सीधे सरकार की गोद में बैठे होते हैं अथवा....
आगे पढ़ें »नयी दिल्ली : नगर निगम चुनाव में तीसरे स्थान पर रहने वाली कांग्रेस को साल 2015 के विधानसभा चुनाव के मुकाबले इस बार 11 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले हैं। वहीं, आम आदमी पार्टी....
आगे पढ़ें »बस्ती : महंगाई आसमान छू रही है। इन दिनों स्पेशल चाय की कीमत भी दस रुपए है। अच्छे होटलों में यही कीमत बढ़कर 15 से 20 रुपए हो जाती है। एक वक्त के भोजन की थाली भी 50 रुपए....
आगे पढ़ें »बस्ती (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) आरटीओ दफ्तर में हुई छापेमारी के दूसरे दिन सन्नाटा छाया रहा। प्रशासन की दहशत के कारण ऑफिस के अंदर और बाहर काम कर रहे बिचैलिये नज़र नही....
आगे पढ़ें »बस्ती (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) आरटीओ महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर समाचार माध्यमों में ताबड़तोड़ छप रही खबरों को शासन ने सज्ञान में लिया। शासन द्वारा जारी....
आगे पढ़ें »बस्ती (अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय) यूपी में नई सरकार आने के बाद सरकारी दफ्तरों और अफसरों की कार्यशैली बदली हुई है। हर जगह सीएम योगी का खौफ साफ तौर पर देखा जा सकता है....
आगे पढ़ें »बस्ती: (मीडियादस्तक न्यूज़नेटवर्क) बस्ती की गंगा कही जाने वाली पौराणिक महत्व वाली कुआनो नदी को खत्म करने का सुनियोजित षडयंत्र चल रहा है। गो गंगा गायत्री की बात करने....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय : यूपी में नई सरकार आने के बाद सरकारी दफ्तरों और अफसरों की कार्यशैली बदली हुई है। हर जगह सीएम योगी का खौफ साफ तौर पर देखा जा सकता है लेकिन....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय: पत्रकारिता जैसे पवित्र पेशे को बदनाम करने वाले बस्ती पुलिस के रडार पर हैं। रोज रोज की शिकायतों से तंग आकर पुलिस कप्तान शैलेष कुमार पाण्डेय....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय : सूबे में नई सरकार आते ही आरटीओ महकमा जाग उठा है। सरकार का मिजाज पता चला कि अफसर डग्गामार वाहनों पर कहर बनकर टूट रहे हैं। नतीजा रोज गाड़ियों....
आगे पढ़ें »अशोक श्रीवास्तव की संपादकीय: चुनाव आयोग के फैसलों पर अब मौन रहना उचित नही होगा। किसी भी संस्था की स्वायत्तता का अर्थ यह नही होता कि उसके फैसलों की समीक्षा नही की जा....
आगे पढ़ें »बस्ती : जनपद में चोरी की घटनायें नही थम रही हैं। पुलिस इन्हे रोकने में नाकाम साबित हो रही है। शहर की सुरक्षा के लिये स्थापित पुलिस चौकियां रात में वीरान रहती हैं।....
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