खनन माफिया पर करोड़ों की पेनॉल्टी ठोंकने की तैयारी में प्रशासन
अशोक श्रीवास्तवः अफसरों और माफियाओं के लिये खनन सबसे मलाईदार विभाग बन चुका है। दोनो के गठजोड़ से न केवल दिन दूना रात चैगुना सरकारी राजस्व को चूना लगाया लगाया जा रहा है बल्कि पर्यावरण की मुश्किलें खड़ी की जा रही हैं। नियमों को दरकिनार कर जिस तरह खनन कराया गया है, इस बार बाढ़ आने पर सैकड़ों गांवों का अस्तित्व खतरे में आ सकता है। बस्ती जनपद की बात करें तो यहां इलाहाबाद हाईकोर्ट, एनजीटी और प्रदेश सरकार की मंशा को कत्ल करके धरती का सीना चीर रहे खनन माफियाओं पर प्रशासन करोड़ों की पेनॉल्टी ठोकंने की तैयारी में है। आपको बता दें प्रशासन और खनन माफियाओं का बेहतर गठजोड़ रहा है।
पूर्व के एक जिलाधिकारी ने तो अपने अधिकारों की परिधि से बाहर जाकर करोड़ों का सीज किया हुआ बालू रिलीज कर दिया था, जबकि उसे नियमतः रिलीज किया गया होता तो सरकार को लाखों का राजस्व प्राप्त होता। जनपद के महुआपार घाट पर अवैध खनन की बात करें तो यहां धड़ल्ले से अवैध खनन हुआ। मीडिया लिखता रहा लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की गोद में बैठे बालू माफियाओं का बात तक बांका नही हुआ। बात ऊपर तक पहुंची, हाई प्रोफाइल डंडा पड़ा तो प्रशासन हरकत में आया, मौके पर पहुंचकर दर्जनों गाड़ियां सीज कर दी गयीं।
ठेकेदारों में हड़कम्प मच गया। हालांकि एक दिन पहले ही घाट पर खनन बंद करा दिया गया था, जिसकी सूचना ठीक ढंग से नही मिल पाई थीं, अधिकारियों ने मौके पर मिली खाली गाड़ियों को भी सीज कर दिया था, जिसे बाद में छोड़ा गया। मौके पर जो मिला वह चैकांने वाला था। सूत्रों की मानें तो यहां 1,09,340 घनमीटर के सापेक्ष करीब डेढ़ लाख से ज्यादा खनन कराया गया था, साइट का मीजरमेण्ट हुआ, तो करीब 40 हजार घनमीटर खनन ज्यादा कराये जाने की बात सामने आयी।
जबकि ठेकेदार ने महज 70 हजार घनमीटर की रायल्टी काटा है। कुल मिलाकर करीब 20 करोड़ से अधिक पेनॉल्टी बन सकती है। अंदरखाने की खबरों पर भरोसा करें तो ठेकेदार और स्थानीय प्रशासन की गठजोड़ से इसे कम करने का प्रयास किया जा रहा है। औचक निरीक्षण के बाद पूरा प्रकरण मीडिया में प्रमुखता से छपा था, मामले को रफादफा नही किया जा सकता लेकिन ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिये पेनॉल्टी कम की जा सकती है।
इस बारे में सीडीओ से बात की गयी कि अवैध खनन मामले में कितनी पेनॉल्टी लगाई गयी है, उन्होने कहा एडीएम से बात कर लीजिये। एडीएम से पूछा गया तो उन्होने फाइल देखकर बताने की कहकर फोन काट दिया। खनन अधिकारी से सच जानने का प्रयास किया गया तो उन्होने कहा जिलाधिकारी आज आये हैं, उनके सामने फाइल पुट अप की जायेगी तभी कुछ निश्चित हो पायेगा। कुल मिलाकर यह देखना है कि उच्चस्तरीय दबाव में प्रशासन ठेकेदारों की रसूख के आगे बौना साबित होता है या फिर तेज तर्रार जिलाधिकारी के फैसले से चौधरी कान्स्ट्रक्शन के प्रोप्राइटर रामनरेश चौधरी को करोड़ों का झटका लगता है।