लोस. चुनावः जानिये किसके नाम पर हो रही है चर्चा
बस्ती (अशोक श्रीवास्तव) आगामी लोकसभा चुनाव के लिये 61 लोकसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी को लेकर भाजपा नेताओं ने कोशिशें तेज कर दिया है। होर्डिंग बैनर पर दिखने वाले फोटो के अलावा पार्टी के कार्यक्रमों में सभी की बढ़चढकर सहभागिता दिखने लगी है। सामाजिक कार्यक्रमों में नेताओं की आवाजाही दिख रही है। मौजूदा सांसद हरीश द्विवेदी के अलावा राजेन्द्रनाथ तिवारी, डा. ममता पाण्डेय और सीए चन्द्रप्रकाश शुक्ला के नाम प्रमुख रूप से चर्चा में हैं। टिकट की दावेदारी में दूसरी पंक्ति के नेताओं में गणेशनरायन मिश्रा, रमाकान्त पाण्डेय, राकेश चतुर्वेदी, दयाराम चौधरी के नाम शामिल हैं।
सोशल मीडिया पर इन नेताओं के समर्थकों द्वारा प्रचार अभियान जारी है। कई बार जनता की नब्ज टटोलने के लिये वोट भी पोल कराया गया। जिसमें राजेन्द्रनाथ तिवारी और ममता पाण्डेय के पक्ष में ज्यादा लोग दिखे। हरीश द्विवेदी को हाशिये पर रखकर बात करें तो ये दोनो नेताओं को लेकर जनता के बीच भी चर्चा हो रही है। एक ओर राजेन्द्र नाथ तिवारी की पार्टी और सांगठनिक पकड़ मजबूत मानी जा रही है तो दूसरी ओर लोकसभा चुनाव में होने वाले भारी भरकम खर्च के मामले में जनता उन्हे अनफिट करार देती है। वहीं ममता पाण्डेय श्री तिवारी की तुलना में जनप्रिय कम हैं लेकिन धनबल में वे हर परिस्थिति का सामना करने में सक्षम हैं।
सांसद हरीश द्विवेदी को लेकर जनचर्चायें हैं कि उनका टिकट इस बार पार्टी काट सकती है, लेकिन इस पर ज्यादा भरोसा इसलिये नही किया जा सकता है कि चुनाव जीतने के बाद हरीश द्विवेदी को लेकर हाईकमान के पास कोई निगेटिव रिपोर्टिंग नही है, साथ ही सांगठनिक गतिविधियों में उनकी सक्रियता को लेकर भी कोई सवाल नही उठाया जा सकता है। उनसे पार्टी के कुछ नेता नाराज हैं ये सच है किन्तु हरीश द्विवेदी नेतृत्व को यह समझा पाने में सफल हैं कि जो उनसे नाराज हैं उनका कोई जनाधार नहीं है। इसलिये उनकी नाराजगी और प्रसन्नता के कोई मायने नहीं हैं। नेताओं की नाराजगी कें तर्क पर हरीश द्विवेंदी का बांल बांका नही किया जा सकता।
इसका उनके पास माकूल जवाब यह है उन्होने अपने दम पर जनपद की पाचों विधानसभा सीटों पर पार्टी का परचम फहराया था। माना जा रहा है कि पाचों विधायकों में सभी सांसद से खुश नही है इनमें कुछ का उनसे 36 का आंकड़ा है, ऐसे में लोकसभा चुनाव में हरीश द्विवेदी उनकी जगह पर कोई नया किरदार गढ़ने में जरा भी संकोच नही करेंगे। हरीश का यह भी कहना है कि 2022 जीतने के लिये 2019 जीतना जरूरी हैं।
मतलब साफ है जो विधायक 2022 का चुनाव जीतना चाहते हैं वे 2019 में पूरी ताकत लगा दें। वे चुनाव जीते तो उन्हे जिताने में केई कसर नही छोड़ेंगे। किरदार कोई भी हों हरीश द्विवेदी के लिये जी जान लगाने वालों की कमी नही होगी। फिलहाल जीत के लिये उन्होने अपनी मोहरें बिछानी शुरू कर दी हैं। लोकसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन जो संकेत मिलने लगे हैं उस आधार पर अभी इतना ही कहा जा सकता है।