ईवीएम को लेकर खड़ा हो रहा है बड़ा जनान्दोलन
मर्यादा पुरूषोत्तम को विभीषण अगर ये न बताते कि रावण की नाभि में अमृत है और नाभि पर वाण चलाने से ही उसकी मृत्यु संभव है तो रावण नही मरता। ठीक इसी तरह सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील भानु प्रताप सिंह कई दिनों से चीख चीख कर इलेक्शन कमीशन, देश की 130 करोड़ जनता और राजनीतिक दलों को यह बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भाजपा की जान ईवीएम में जा बसी है, जब ईवीएम नही हटेगा भाजपा को कोई परास्त नही कर सकता।
दिल्ली के जंतर मंतर पर एक दिवसीय धरना दिया गया। ईवीएम हटाओ संयुक्त मोर्चा के बैनर तले इस बात के दावे किये जा रहे हैं कि हमे चाहे जो कुरबानी देनी पड़ेगी, ईवीएम से चुनाव नही होने देंगे। हैरानी इस बात की है कि इतनी बड़ी खबर मेन स्ट्रीम की मीडिया से बाहर है। प्रधानमंत्री को विष्णु और भगवान शंकर का अवतार बताने वाले टीवी चैनलों को इतना बड़ा जनान्दोलन नही दिख रहा है। राजनीतिक दलों की चुप्पी इससे ज्यादा हैरान करने वाली है। जबकि सभी जानते हैं उन्हे सबसे ज्यादा पीडा ईवीएम से है लेकिन इस पीड़ा को हमेशा के लिये खत्म करने को आगे नही आ रहे हैं।
दरअसल जनता के बीच मोदी सरकार या भाजपा को लेकर भारी विरोध देखा जाता है, यहां तक कि अब कार्यकर्ताओं के भी सुर बदल गये हैं लेकिन इलेक्शन आता है तो भाजपा प्रचण्ड बहुमत से चुनाव जीत जाती है। इतना ही नही हर चुनाव से पहले भाजपा के बड़े नेता यह ऐलान कर देते हैं कि उन्हे अबकी बार कितनी सीट मिलने जा रही है। ऐसे में यह कहा मुश्किल नही होगा कि एक दिन भाजपा सदन को विपक्ष विहीन कर हमेशा के लिये अजये हो जायेगी। फिलहाल विपक्ष और मीडिया की चुप्पी के बीच इस जनान्दोलन का नतीजा कुछ भी हो लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता भानु प्रताप सिंह के हिम्मत की लोग सराहना कर रहे हैं।