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समाज कल्याण के नाम पर करोड़ों डकार रहे एनजीओ संचालक

Posted on: Fri, 10, Aug 2018 5:33 PM (IST)
समाज कल्याण के नाम पर करोड़ों डकार रहे एनजीओ संचालक

अशोक श्रीवास्तव (बस्ती) नारी व बाल संरक्षण गृहों में में पनप रहे भ्रष्टाचार की चहुंओर चर्चा है। समाज कल्याण के नाम पर कुछ तथाकथित समाजसेवियों, अफसरों व जनप्रतिनिधियों की आपसी मिलीभगत से हर महीने करोंड़ों का बजट डकार लिया जा रहा है। इन संस्थाओं की हकीकत का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि समाज कल्याण और जागरूकता के नाम पर चलाये जा रहे विविध कार्यक्रमों का कोई असर नही है। समाज में रत्ती भर सुधार या बदलाव नही है। समाजसेवा के पवित्र उद्देश्य की आड़ में जो गंदा खेल खेला जा रहा है वह अब किसी से छिपा नही है। प्रदेश के देवरिया, हरदोई और अब प्रतापगढ़ संरक्षण गृहों से सामने आई हकीकत शर्मसार करने वाली है।

करीब 10 साल पहले बस्ती जनपद गंभीर किस्म के अपराधों से दूर था या ऐसे अपराधों की संख्या बहुत कम थी। लेकिन अब यहां हर तरह के अपराध और अपराधी हैं। उन्हे संरक्षण देने वाले रसूखदारों की भी कमी नही है। यहां हजारों की संख्या में चल रहे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) भी दूध के धुले नही हैं। अपराध की जड़े यहां भी गहरी हैं। पूर्व में अनेकों एनजीओ शासन से मिलने वाली भारी भरकम धनराशि को बड़े आराम से डकार चुके हैं। कार्यक्रमों के आयोजन के नाम पर थोड़ी सी धनराशि खर्च कर लाखों का वारा न्यारा कर दिया जाता है। महज कागजी कोरम पूरा कर समाजसेवा के नाम पर समाज से लेकर शासन तक सभी को गुमराह किया जा रहा है।

देखा जाये तो इनका एक संगठित गिरोह बन चुका है। कुछ आड़े तिरछे रास्ते अपनाकर एनजीओ के संचालक कठिन से कठिन काम को आसान बना लेते हैं। जांच किया जाये तो सेक्स रैकेट से लेकर सरकारी धन के दुरूपयोग तक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है। विश्वस्त सूत्रों की माने तो विभागीय अफसरों को सबकुछ पता है फिर भी अनदेखी की जाती है। बहुत कम एनजीओ है जो हकीकत के धरातल पर सही से काम करते हैं बाकी सिर्फ कागजी घोड़ा दौड़ाकर सरकार से मिला फंड डकारने की कोशिश में लगे रहते हैं।


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