इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक, सुनियोजित लूट का खुलासा और लोकतंत्र की सबसे बड़ी जीत
नेशनल डेस्कः सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार की 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा देने से राजनीतिक दलों में हडकम्प मचा है। राहुल गांधी बहुम पहले से इसके विरूद्ध आवाज उठाते आ रहे हैं। सूचना के अधिकार को बेहद मिजोर करते हुये केन्द्र की मोदी सरकार ने इलेक्टोरेल बाण्ड से राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी मांगने को अधिकार को एक्ट से बाहर कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस सुनियोजित लूट पर पाबंदी लगाने के बाद इस बात का खुलासा हुआ है कि भाजपा के पास सांसदों और विधायकों की खरीद फरोख्त के लिये बोरा बोरा भर कर रूपया कहां से आता है। फिलहाल कोर्ट ने स्पष्ट कहा है बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने इलेक्शन कमीशन से 13 मार्च तक अपनी ऑफिशियल वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम की जानकारी पब्लिश करने के लिए कहा है। इस दिन पता चलेगा कि किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया। यह फैसला 5 जजों ने सर्वसम्मति से सुनाया।
इलेक्टोरल बॉन्ड क्या है
2017 के बजट में उस वक्त के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चुनावी या इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को पेश किया था। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया। ये एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी खरीद सकती है।
दलों को मिला चंदा
भाजपा को 2018/19 में 1450 करोड़, कांग्रेस को 383 करोड़, TMC को 97.28 करोड़, 2019/20 में भाजपा को 2055 करोड़़, कांग्रेस को 318 करोड़, टीएमसी को 100 करोड़, 2020/21 में भाजपा को 22.38 करोड़, कांग्रेस को 10.07 करोड़, TMC को 42 करोड़, 2021/22 में भाजपा को 1032 करोड़, कांग्रेस को 236 करोड़, TMC को 528 करोड़ और 2022/23 में भाजपा को 1300 करोड़, कांग्रेस को 171 करोड़, TDP को 34 करोड़ चंदा मिला है।
इलेक्टोरल बॉन्ड
इलेक्टोरल बॉन्ड की घोषणा के बाद पूरे देश में चर्चा तेज हुई थी। मोदी सरकार निशाने पर थी, तरह तरह की प्रतिक्रियायें आ रही थीं लेकिन सरकार पर कोई असर नही हुआ और इलेक्टोरल बॉन्ड लागू कर दिया गया। अवैध तरीके से जुटाई गये चंदे का इस्तेमाल चुनी हुई सरकारों को गिराने तथा सांसदों विधायकों की खरीद फरोख्त किया गया। करोड़ों का चंदा लेकर उद्योगपतियों को अरबों के लूट की छूट दी गई। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जनता इसे लोकतृत्र की सबसे बड़ी जीत मान रही है। चूंकि राहुल गांधी इस बात को बहुत पहले से उठाते आ रहे हैं इसे कांग्रेस पार्टी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरना शुरू कर दिया है।