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07 मई 2024
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बहुत जरूरी था भगवान राम का आना

Posted on: Mon, 22, Jan 2024 11:20 AM (IST)
बहुत जरूरी था भगवान राम का आना

आज राम पुनः अयोध्या आ रहे हैं। मंदिर में उनकी प्राण प्रतिष्ठा हो रही है। भारत ही नही पूरी दुनियां आज रामधुन गा रही है। अयोध्या से लगने वाले जिलों में माहौल राममय हो गया है। लोग मार्यादा पुरूषोत्तम का स्वागत करने को उसी तरह तैयार हैं जैसे त्रेता युग में 14 वर्ष बाद राम के अयोध्या वापसी के समय थे। जिस अध्योध्या को हम सभी आज तक जानते थे उसे विक्रमादित्य ने बसाया था। लेकिन आज के बाद हम जिस अयोध्या को जानेंगे उसे पुनः स्थापित करने का श्रेय योगी आदित्यनाथ को जाता है।

सारे विघ्न बाधाओं को पार करते हुये उन्होने करोड़ों हिन्दू जनमानस की आस्था के प्रतीक भगवान राम से जुड़ी स्मृतियों को पुनः जीवित कर दिया। लेकिन प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का जिस तरह से राजनीतिकरण किया गया उसे भी लोग सदियों तक याद रखेंगे। केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार ने ऐसे सारे कृत्य किये जिसने करोड़ों देशवासियों को इस बात का अहसास करा दिया कि राम सिर्फ भाजपा के हैं, उन्हे जब चाहेंगे लायेगे। दो तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं जिसमें भाजपा का अहंकार साफ तौर पर दिखता है।

एक तस्वीर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भगवान राम की उंगली पकड़कर उन्हे अयोध्या राम मंदिर की ओर ले जाते दिख रहे हैं, इसमें प्रधानमंत्री की लम्बाई पूरी दिखाई गई है जबकि राम को उनके घुटनों तक दिखाया गया है। दूसरी तस्वीर में भगवान राम प्रधानमंत्री के कंधे पर अपना सिर रखकर आराम की मुद्रा में दिख रहे हैं। दोनो तस्वीरों में प्रधानमंत्री को भगवान राम से बड़ा दिखाया गया है। भाजपा इन तस्वीरों से क्या संदेश देना चाहती है यह नही मालूम लेकिन एक बात बिलकुल स्पष्ट है कि वे राम से बड़े नही हो सकते।

खुशी इस बात की है कि भगवान राम का आगमन ऐसे परिवेश में हो रहा जब वाकई उनकी जरूरत है। आदमी बड़ी तेजी से जानवर हो रहा है। हालातों पर आदमी नहीं अब भगवान ही काबू पा सकते हैं। भारत में अत्याचार, दुराचार, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महगाई चरम पर है, उनकी जगह कुंडली मारकर बैठे मौजूदा शासकों को इन बातों की जरा भी फिक्र नही है। मणिपुर, हाथरस, कठुआ, बिलकिस बानो के प्रकरण हर भारतीय को याद हैं। संविधान पर खतरा मड़रा रहा है। दोहरा मापदंड शासकों की ताकत बन चुका है। संवैधानिक संस्थाओं ने गुलामी स्वीकार कर लिया है, मीडिया शासकों की गोद में जाकर बैठ गई है, जनता ने सही गलत में फर्क करना बंद कर दिया है, न्यायाधीशों को लालच देकर मनमाफिक फैसले करवाये जा रहे हैं, राजनैतिक शुचिता खत्म हो चुकी है, नफरत इस कदर फैलाई जा रही है कि एक समूह दूसरे को देखना भी न पसंद करे, नई पीढ़ी रोजगार की जगह भौकाल पसंद कर रही है, परिस्थितियां बिलकुल विपरीत हैं।

ऐसे में मर्यादा पुरूषोत्तम का आगमन अति प्रासंगिक है। जरूरत इस बात की होगी कि लोग आडम्बर का त्याग कर राम के आदर्शों और उनके चरित्र को भी अपनायें। राम ने कोई चमत्कार नही किया था, मानव रूप में आकर उन्होने परिस्थितियों का डटकर मुकाबला किया और अपने राज्य में कभी गैर बराबरी, नफरत, व अन्य बुराइयों को पनपने नही दिया। आगे चलकर रामराज्य उदाहरण बन गया जो आज तक स्मृतियों में है। यह तब संभव होगा जब लोग राम को अपने भीतर महसूस करें। जो व्यक्ति अपने भीतर राम को महसूस कर सकता है वह कभी अन्याय, अत्याचार, दुराचार, चोरी बेहमानी, भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, झूठ, छल, कपट, राजनीतिक विद्वेष, सामाजिक गैर बराबरी का समर्थक और ध्वजवाहक नही हो सकता। सारी दुनिया आशान्वित है कि राम के आने के बाद स्थितियां सहज होंगी और चारित्रिक आदर्श फिर दिखाई देंगे।


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