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यहां स्वाभाविक है जनता की नाराजगी

Posted on: Mon, 18, Jun 2018 8:39 PM (IST)
यहां स्वाभाविक है जनता की नाराजगी

अशोक श्रीवास्तवः जनता को बुनियादी सुविधायें नसीब न हों और जनप्रतिनिधि चौपाल लगाकर विकास की राग अलापें तो शायद ही किसी को अच्छा लगे। सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा चिकित्सा, कानून व्यवस्था और बगैर रिश्वत दफ्तरों में काम हो जाने से ज्यादा जनता कुछ नही चाहती। इन सुविधाओं में हम बात करें तो सिर्फ बिजली व्यवस्था में सुधार हुआ है बाकी सब पूर्ववत है। हालांकि महंगाई और विभागीय भ्रष्टाचार पहले से कहीं ज्यादा है। फिलहाल आज हम अपने पाठकों का ध्यान सड़कों की बदहाली की ओर ले जाना चाहते हैं। मीडिया दस्तक टीम ने आज भद्रेश्वरनाथ धाम जाने वाले मार्ग को मौके पर जाकर देखा। इस मार्ग की हालत इतनी दयनीय है कि ग्रामीणों की नाराजगी स्वाभाविक है जो कुछ दिनों पहले लगी चौपाल में साफ देखने को मिला था। यहां डारीडीहा मोड़ से मन्दिर की दूरी मुश्किल से 2.5 किमी होगी, लेकिन ये दूरी बहुत अधिक कष्टकारक है। पूरी सड़क गड्ढों में तब्दील हो चुकी है।

मन्दिर का महत्व सभी जनप्रतिनिधियों को मालूम है। यहां अधिमास हो या कांवरियों द्वारा किया जाना वाला जलाभिषेक, या फिर यज्ञोपवीत, कथा, भण्डारा इत्यादि, महीने में लाखों श्रद्धालु आते हैं। सांवन में जलाभिषेक के लिये रिकार्डतोड़ भीड़ होती है। हाल ही में गांव में लगी चौपाल में सांसद पहुंचे तो ग्रामीणों का गुस्सा भड़क गया, वे उनके विरोध में नारेबाजी करने लगे। आरोप था कि चुनाव जीतने के बाद वे जनता की खोज खबर लेने एक बार भी नही आये और न ही मन्दिर की साज सज्जा, सुविधाओं या आवागमन के रास्ते को लेकर संवेदनशील दिखे।

गुस्सा स्वाभाविक है क्योंकि जनता जनार्दन है। पूरे देश में जिस मन्दिर की ख्याति हो, लाखों लोगों की वहां से श्रद्धा जुड़ी हो तो बुनियादी सुविधाओं पर तो खड़े होंगे। जनता नाराज हो सकती है लेकिन सांसद को नाराज होने का हक नही है। उन्हे शिकायतों और जरूरतों को सकारात्मक अंदाज में लेकर समय रहते ठोस पहल करनी चाहिये। मीडिया दस्तक टीम से मिले ग्रामीणों ने बताया कि सांसद से नाराजगी का कारण कोई खास कारण नही है बल्कि क्षेत्र के विकास को उनके द्वारा अनदेखा किया जाना ही एक मात्र कारण है।

खैर सड़कों की बात आयी है तो दुश्वारियां यहीं खत्म नही होतीं, सदर अस्पताल से सोनूपार जाने वाला रास्ता भी मन्दिर जाने वाले से कम खराब नही है। मेडिकल कालेज इसी रोड पर बन रहा है, कैली अस्पताल इसी रोड पर है, साथ ही महसो महादेवा, कुदरहा, लालगंज, बनकटी की जनता को अस्पताल आने के लिये यही एक मात्र रास्ता है। हलकी सी बरसात में यह सड़क तालाब की शक्ल में नजर आती है, लोगों के कपड़े खराब होते हैं, सडक दुर्घटनायें और विवाद आये दिन होते रहते हैं। यह सड़क कई सालों से खराब है। जन प्रतिनिधियों ने न जाने इस दिशा में क्यों नहीं सोचा। चार सालों में विकास गिनाने के लिये पूरी किताब भर गयी लेकिन इन सड़कों की दशा नही सुधरी। सवालों को दबाया नही जा सकता, बेहतर होगा कि जन प्रतिनिधि भी अहंकार छोड़कर जनता की आवाज बनें, इसमें उनकी भलाई है और जनता की संतुष्टि भी। बस्ती से गनेशपुर जाने वाला रास्ता सबसे ज्यादा खराब है।

बस्ती ने मनवर ट्रेन चलायी गयी, अच्छी बात है, लेकिन जनता से पूछा जाये कि इन तीनों सड़कों का कायाकल्प कर दिया जाये तो क्या जनता मनवर को वापस कर देगी, जवाब मिलेगा हां। यहां यह बात कहने का मतलब ये है कि पहले बुनियादी जरूरतें पूरी की जानी चाहिये। बीते चार सालों में इसका ध्यान नही रखा गया। रिंग रोड बनेगा तो कई साल लगेंगे, मेडिकल कालेज भी वक्त लेगा, जलमार्ग तो और ज्यादा वक्त लेगा, ऑडिटोरियम का बेसब्री से इंतजार है।

लेकिन इससे पहले इन सड़कों का कायाकल्प हुआ होता, शहर से लेकर गांव तक पेयजल की समस्या हल हुई होती, शिक्षा, चिकित्सा प्रतिष्ठानों में सुधार हुआ होता, कानून व्यवस्था सुधरी होती, बगैर रिश्वत के दफ्तरों में काम होता तो कोई नही कह पाता कि विकास और बदलाव नही हुआ है। लेकिन जो विकास हुआ उसमें एकाध योजना को छोड़कर जनता का सीधा किसी से सरोकार नही रहा। यही कारण है कि जहां विकास के झूठे गीत गाये जा रहे हैं वहीं विपक्षी हकीकत का ऐसा तराना छेड़ रहा है कि लोगों की आवाज बंद हो जा रही है। संपादकीय बस्ती के संदर्भ में


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