क्या लोकसभा चुनाव के नाते डम्फ हो रहे हैं 2000 के नये नोट
अशोक श्रीवास्तवः नोटबंदी का दर्द जनता अभी भूली नही है। वर्तमान में बैंकों और एटीएम में करेंसी की किल्लत एक बार फिर जनता को इसका अहसास हो दिला रही है। प्रधानमंत्री के फैसले के बाद अधिकांश लोग इसका गुणगान कर रहे थे लेकिन सरकार इससे उत्पन्न समस्या पर काबू नही पा सकी तो लोग उसकी निंदा करने लगे।
इस वक्त उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में करेंसी की भारी किल्लत है। लोगों को शादी व्याह के आयोजनों और कृषि कार्यों में परेशानी हो रही है, सरकारी सूत्र बताते हैं कि इस समस्या से निपटने के लिये रिजर्ब बैंक करेंसी की छपाई 24 घण्टे कर रहा है, लेकिन वह छपकर कहां जा रहा है पता नहीं। जिन शहरों और राज्यों में करेंसी की समस्या है जस की तस बनी है। एक शाखा प्रबंधक ने समस्या का कारण 2000 के नये नोट का चलन कम होना इस समस्या की वजह बताया। उसके मुताबिक करीब 60 फीसदी नोट बाजार से गायब हैं, वे न तो रिजर्ब बैंक में है, न बैंक की शाखाओं में और न ही बाजारों में।
बैंकों में ग्राहक केवल 500 और 100 रूपये की नोट लेकर आ रहे है।ं ऐसे में करेंसी की समस्या स्वाभाविक है। यह पूछने पर कि 2000 की नोट कहां जा रही है, उन्होने कहा इसे भारी मात्रा में डम्फ किया जा रहा है, हो सकता है ऐसा लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हो रहा हो। 2000 की जितनी नोटों को डम्फ किया जा चुका है उतनी नई नोटें बाजार में नहीं आईं। करेंसी की किल्लत की एक वजह यह भी है। नाम न छापने की शर्त पर उन्होने साफ कहा कि जिन समस्याओं के निराकरण के लिये नोटबंदी लागू की गई थी वे समस्यायें आज भी बनी हुई हैं। न तो आतंकी गतिविधियों पर रोक लगी, न फर्जी नोट बनने बंद हुये और न ही कालाधन रखने की आदत गई। यही कारण है कि लोग 2000 की नोट को कालेधन के रूप में जमा कर रहे हैं। बड़ी नोट होने के कारण इसका रखरखाव भी सरल है लोग इसका भी फायदा उठा रहे हैं।