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हिन्दी जरूरी नहीं मजबूरी है

Posted on: Mon, 16, Sep 2019 9:06 AM (IST)
हिन्दी जरूरी नहीं मजबूरी है

हिन्दी दिवस पर एक बार फिर देशभर में प्रतियोगिताओं, गोष्ठियों और भाषणबाजी का दौर चला। हिन्दी का महत्व बताया गया। अनिवार्य रूप से हिन्दी का प्रयोग करने की कसमें खाई गयीं। लेकिन अंग्रेजी स्कूलों के बर्चस्व, अपने बच्चे को फर्राटा अंग्रेजी बोलने पर अपना सीना फुलाने की आदत नही गयी। अभिभावकों की इस पसंद और अंग्रेजी स्कूलों के बढ़ते प्रभाव ने अंग्रेजी को हिन्दी का प्रतियोगी बना दिया। अब लोग कहने लगे हैं कि हिन्दी बहुत जरूरी है लेकिन अंग्रेजी भी जरूरी है।

वे शायद ये बातें भूल जाते हैं कि भारत में मोबाइलें लांच करने से पहले निर्माताओं और तकनीकी विशेषज्ञों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि भारत में मोबाइलें तभी बिकेंगी जब इसमें हिन्दी फीचर भी होगा। आज बड़ी बड़ी कम्पनियों और ब्राण्ड मैनेजरों की मजबूरी है कि उन्हे भारत में अपने उत्पादों को बेंचना है या फिर अपना ब्राण्ड चमकाना है तो उन्हे हिन्दी का सहारा लेना होगा। अंग्रेजी चाहे जितना विकसित हो जाये हिन्दी का महत्व कम नही कर सकती। हिन्दी भारत की पहचान और अभिमान है। हिन्दी का एक एक शब्द भारत माता की वंदना है। हिन्दी भारत माता श्रंगार है। भारत में अपना अस्तित्व कायम रखना है तो हिन्दी जरूरी नही बल्कि मजबूरी है। एक बहुत बड़े वर्ग पर अपनी पकड़ बनानी हो तो आप अंग्रेजी से नही बना सकते।

अंग्रेजी बोलना और सुनना दोनो अच्छा लगता है लेकिन इसमें आत्मीयता नही है, इसमें जोड़ने की क्षमता नही है। भारतीय परिवेश और संस्कार ऐसे है कि हिन्दी से हम स्वयं को स्थापित कर सकते हैं। पारलेजी ने अग्रेजी में ब्राण्डिंग की होती तो उसका सफर भारत में इतना लम्बा नही होता। आज सारा विश्व जान चुका है कि भारत में व्यापार करना है तो हमें हिन्दी को अपनाना ही होगा। हिन्दुस्तान का मजदूर तबका हिन्दी में ही व्यवहार करता है कई विदेशी कंपनियों के नाम आपको हिन्दी में लिखे मिल जाएंगे। बुद्धिजीवी तो हिन्दी के प्रचार प्रसार की चिंता और प्रयास करते ही हैं लेकिन जब सुर की देवी लताजी अपनी अभिव्यक्ति के लिए हिन्दी को चुनती है, अभिनय के बेताज बादशाह अमिताभ बच्चन अपने कार्यक्रम में एक मशीन को भी जी कहकर संबोधित करते हैं, तो हमें विश्वास होने लगता है कि धीरे-धीरे ही सही उनका अनुकरण करते हुए कई लोग अपनी हिन्दी सुधारने में लगे हैं।

भाषा की कमियां देखने के बनिस्बत हम यह सोचें कि इसका ज्यादा से ज्यादा प्रयोग किस तरह करें। हिन्दी की प्रथम पत्रिका ‘सरस्वती’ के प्रकाशन के समय ’महावीर प्रसाद द्विवेदीजी’ ने लोगों को प्रेरित किया कि ’वें हिन्दी में लिखें,’ फ़िर उस भाषा को परिष्कृत करके सही रुप में प्रस्तुत किया। आज वही कार्य पुनः प्रारंभ होना चाहिए। आधुनिक तकनीक का सहारा लेकर के भी हिन्दी को लोकप्रिय बनाने की कवायद चल रही है जिसके अनेक उदाहरण आपको इस ब्लॉग जैसे लेख से बेहतर लेख पढ़कर देखने को मिल सकते हैं। भारतीय मीडिया का हिन्दी का बर्चस्व बनाये रखने में बहुत बड़ा योगदान है। हिन्दी अखबारो और हिन्दी भाषा में प्रकाशित समाचारों का अपना महत्व है। यहां अग्रेजी के जानकार भी जब तक हिन्दी भाषा में समाचार नही पढ़ लेते उनका मन नही मानता।

दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल ने भी इस सच को स्वीकार किया और हिन्दी दिवस पर एक ऐसी योजना चलाई कि मीडिया संस्थानों को हिन्दी को बढ़ावा देने में मदद मिले। इसके लिये वह फ्री में वेबसाइट उपलब्ध करवा रहा है जहां लोग अपने विचार समाचार आदि सार्वजनिक कर सकते हैं। गूगल का यह कदम क्रांतिकारी होगा। जो लोग हिन्दी को गौड़ बताते हुये बंहस में हिस्सा लेते हैं उन्हे यह बात कभी नही भूलनी चाहिये कि अमिताभ बच्चन यदि अंग्रेजी में डॉयलॉग बोलकर अपनी पहचान बनाना चाहते तो आज कहां होते। सुरों पर अपना एकाधिकार जमाने वाली लता मंगेशकर यदि अंग्रेजी में गाने गातीं तो आज कहां होतीं। उन्हे डॉटर ऑफ द नेशन का खिताब मिलने जा रहा है क्यों। क्योंकि उन्होने हिन्दी को पकड़कर रखा।

आजीवन हिन्दी में गाने गाती रहीं, हिन्दी में ही सम्बोधन किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दी पर मजबूत पकड़ के कारण ही लोकप्रिय हैं। भारतवर्ष में जितने भी लोग कामयाब हैं सभी की मुख्य भाषा हिन्दी रही है। इसका महत्व दुनिया भर में बढ़े, समूचा विश्व हिन्दी का कायल हो, इसके लिये हमें औपचारिकताओं से बहुत दूर जाकर हर रोज हिन्दी दिवस मनाना होगा। 14 सितम्बर को कसम खायें और 15 सितम्बर से फर्राटा अंग्रेजी बोलकर अपनी धाक जमायेंगे तो इससे हिन्दी कमजोर होगी। देश में सस्कार कायम रखने हैं, आत्मीयता रखनी है, हर एक को अपनी भावनाओं से जोड़े रखना है, कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक जैसा हो एक जैसी अभिव्यक्ति हो, इसके लिये

हमें हिन्दी को आगे बढ़ाना होगा।

हिन्दी है भारत की शान आगे इसे बढ़ाना है।

हर दिन, हर पल, हमको हिन्दी दिवस मनाना है।

भारत माँ के भाल पर सजी स्वर्णिम बिन्दी हूँ।

मैं भारत की बेटी, आपकी अपनी हिन्दी हूँ।-साभार


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