देवरिया शेल्टर हाउस से गायब बेटियों में एक बस्ती की, दर दर भटक रहा पिता
बस्तीः बालिका संरक्षण गृहों में देह व्यापार के खुलासों से प्रदेश में हड़कम्प मची है। इस पूरे खेल में जहां सरकार की छबि लगातार खराब होती जा रही है वहीं कई नामचीन हस्तियों के शामिल होने की खबरें आ रही हैं। देवरिया शेल्टर हाउस से गायब हुई 18 बालिकाओं में एक बस्ती जनपद के गौर थाना क्षेत्र के उजागर गांव की बताई जा रही है। संरक्षण गृह का कहना है कि लड़की को 2017 में ही उसके परिजनों की सुपुर्दगी में दे दिया गया था। जबकि लड़की के पिता तिलकराम ने इससे साफ इनकार किया है। दरअसल सेक्स स्कैंडल के नाते चर्चा में आये देवरिया के शेल्टर हाउस से जब 18 लड़कियों के गायब होने की खबर आयी तो बस्ती के तिलकराम भी घबराकर देवरिया पहुंचे, जहां उन्हे दो टूक जवाब दे दिया गया, कि तुम तो 2017 में ही अपनी बेटी को ले गये हो। अब तिलकराम की बेटी आखिर कहां चली गयी। वह न तो अपने घर पहुंची और न ही शेल्टर हाउस में हैं, कहीं ऐसा तो नही कि उसके साथ कोई अनहोनी हो गयी अथवा शेल्टर हाउस के संचालकों ने मोटी रकम लेकर किसी दरिंदे के हवाले कर दिया। फिलहाल पूरा मामला जांच का विषय है। लेकिन घबराये परिजनों ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर मामले में न्याय की मांग किया है जिससे बेटी सुरक्षित अपने परिजनों को मिल सके।
दरअसल बताया जा रहा है कि तिलकराम की बेटी के साथ पूर्व में यौन शोषण हुआ था, पूरा परिवार घटना से बुरी तरह आहत था, उस वक्त बेटी को परिजन अपने साथ रखने को तैयार न थे तो उसे देवरिया के शेल्टर हाउस भेज दिया गया। तिलकराम तभी से निश्चिंत थे कि उनकी बेटी भले ही उनकी आखों के सामने न हो लेकिन इस दुनियां में हैं, कभी न कभी वे उसे अपने बीच लेकर आयेंगे, लेकिन देवरिया के शेल्टर हाउस में घिनौने कृत्य की जानकारी हुई तो उनके होश उड़ गये।
यहां यह कहना जरूरी है कि बस्ती जनपद में भी देह व्यापार की जड़ें कम गहरी नही हैं। पूर्व में एक घेरलू महिला ने जब कोतवाली पहुंचकर अपने पति पर ही सेक्स रैकेट चलाने का गंभीर आरोप लगाया तो जिम्मेदारों के पैरों तले जमीन खिसक गयी। महिला ने आरोपों के संदर्भ में अनेकों साक्ष्य भी दिये, लेकिन पुलिस को जब अपनी और तमाम सफेदपोशों की गरदन फंसती दिखी तो दबाव बनाकर महिला को रहस्मयी तरीके से गायब कर दिया गया। बताया जाता है महिला जयपुर में रह रही है। लेकिन सिर से पांव तक बदनामी के कीचड़ में सने हाथ पांव को साफ कर जनता का विश्वास अर्जित करने की बजाय स्थानीय प्रशासन ने महिला और उसके परिजनों पर बेवजह दबाव बनाकर पूरे मामले पर परदा डाल दिया।
लेकिन सच्चाई इससे छिपी नही है सिर्फ परदे में है। इतना ही नही बस्ती में भी संचालित शेल्टर हाउस से पूर्व में तीन लड़कियां गायब हो चुकी हैं। उनका कुछ भी अता पता नहीं है। संचालक की पकड़ ऊपर तक है। शायद इसी कारण लड़कियों के गायब होने पर कोई कार्यवाही नही हुई। कुल मिलाकर बस्ती में भी जिलाधिकारी यदि शेल्टर हाउस का भूत और वर्तमान खंगालें तो बस्ती मुजफ्फरनगर, देवरिया और हरदोई से पीछे न होगा। देखना होगा कि शेल्टर हाउसेज में चर्चा में आये देह व्यापार के बाद प्रशासन सतर्कता करतते हुये इस प्रकार के कृत्यों पर लगाम कसने में कामयाब होता है या फिर लड़कियां यूं ही इस्तेमाल होती रहेंगी।