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07 मई 2024
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स्थापना दिवस पर विशेषः हम भरोसा खोना नही चाहते आपका...

Posted on: Fri, 13, Oct 2023 12:09 AM (IST)
स्थापना दिवस पर विशेषः हम भरोसा खोना नही चाहते आपका...

मीडिया दस्तक की शुरूआत साल 2014 में फेसबुक पर हुई। उस वक्त सोशल मीडिया पर बहुत सारी आपत्तिजनक पोस्ट देखने को मिलती थी। कुछ मित्रों के साथ बैठकर चर्चा हुई कि सोशल मीडिया का दायरा यूं ही बढ़ता रहा तो एक दिन फेसबुक समाज में आग लगाकर छोड़ेगा। बहंस के बीच सदियों से चला आ रहा फार्मूला याद आया, बुराइयों का दायरा कम करने के लिये अच्छाइयों का दायरा बढ़ाना होगा।

मन में आया फेसबुक पर हम सभी अच्छे विचारों को लेकर आयेंगे और लगातार इसका दायरा बढ़ायेंगे। माना कि ज्यादा लोग बुराइयों की ओर आकर्षित होते हैं, फिर हम कुछ लोग उनका काउंटर तो कर पायेंगे। फिर क्या था, सिलसिला चल पड़ा। कुछ विचार और कुछ प्रेरणादायक फोटोग्राफ्स फेसबुक पर पोस्ट होने लगे। कुछ दिन बाद सोचा गया कि इस मुहिम को क्यों न कोई नाम दिया जाये। विचार विमर्श के बाद नाम निकलकर आया ‘‘मीडिया दस्तक’’। अपनी प्रोफाइल के अलावा जैसे ही मीडिया दस्तक के नाम से फेसबुक पेज औ ग्रुप बना, हमारी टीम के द्वारा पोस्ट और फोटोग्राफ्स से प्रभावित होकर लोग इस मुहिम का हिस्सा बनने लगे।

केवल बस्ती जनपद ही नही समूचे उत्तर प्रदेश यहां तक कि राजस्थान, हिमांचल, उत्तराखण्ड, बिहार, वेस्ट बंगाल, दिल्ली, गुजरात सहित कई राज्यों से फेसबुक पेज को लोगों ने फॉलो करना शुरू कर दिया। इसे अपनी सफलता से जोड़कर देखते हुये यू ट्यूब, ट्वीटर, इन्स्टाग्राम सब पर मीडिया दस्तक सक्रिय होगा। हर जगह हमारी गतिविधियों और विचारों को सराहा गया। सब कुछ बड़ा होता दिख रहा था। दूसरे राज्यों और स्थानीय पाठकों, दर्शकों तथा मित्रों की सलाह आने लगी कि इसे रजिस्टर्ड कराया जाये। इसके बाद चार्टड अकाउंटेन्ट अनुभव श्रीवास्तव से मिलकर भारत सरकार के कारपोरेट मिनिस्ट्री में एक मीडिया कम्पनी के रजिस्ट्रेशन हेतु आवेदन दिया गया।

वहां मीडिया दस्तक नाम मंजूर हो गया। उम्मीदों को पंख लगे। साफ्टवेयर के जानकार नवीन श्रीवास्तव ने एक बेहद आकर्षक वेबसाइट बनाया। जिस दिन से वेबसाइट एक्टिव हुई उसी दिन से आज तक हमे नही याद है कि हमने कभी अवकाश भी लिया हो। संडे हो मंडे, यहां तक कि होली, दिवाली, दशहरा, मैरिज डे, बर्थ डे, कन्डोलेंस डे कुछ भी रहा हो सम्मानित पाठकों और सहयोगी पत्रकार साथियों के सम्मान में बगैर किसी विश्राम के खबरों का प्रकाशन होता आ रहा है। 9 सालों की कड़ी मेहनत अब वेबसाइट पर नीचे विजिटर्स की संख्या बताने वाली घड़ी हमारी सबसे बड़ी प्रेरणा स्रोत बन चुकी है।

विजिटर्स की संख्या 1 करोड़ को पार कर चुकी है। यही हमारी पूंजी भी है और ब्याज भी। अपने दर्शकों, पाठकों और पत्रकार साथियों का भरोसा हम किसी कीमत पर नही खोना चाहते हैं। हमने जिन आदर्शों को अपनाया है शायद वही हमारे शुभचिंतकों, मीडिया दस्तक के दर्शकों को पसंद है। ऐसे में हम हर हाल में इन आदर्शों को कायम रखेंगे। लोग अक्सर कहते हैं पत्रकारिता में गिरावट आ रही है। पत्रकारिता में ही क्यों हर क्षेत्र में गिरावट आ रही है।

पत्रकार भी तो इसी समाज से आते हैं। बेटा सरकारी नौकरी में है तो बाप पूछता है तनख्वाह के अलावा कुछ ऊपर की आमदनी होती है या नहीं। जहां ऐसी सोच है वहां आप किन आदर्शों की उम्मीद करते हैं। समाज आज धन दौलत, ऊंची रसूख, बड़ी बड़ी गाडियों, मकानों और भारी भरकम अकाउंट बैंलेंस का कामयाबी मान रहा है, ऐसे में पत्रकार भी तो एक सामान्य जीवन जीना चाहता है। गिरावट पत्रकारिता में नही लोगों के आचरण में हैं जो हमारी जिंदगी जीने के वसूल तय करते हैं। अपनी जरूरतें सीमित नही रखेंगे तो जगह जगह आपके जमीर का सौदा होगा और यही हो रहा है। फिलहाल आप हम पर और हमारे संस्थान पर नजर रखिये हम जो परिवार बना रहे हैं वह कतई आपको निराश नही करेगा। बस आप हमारी सफलता असफलता को उन कसौटियों पर मत कसियेगा जिन्हे मैने ऊपर बताया है।


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