अमर्यादित भाषा से बचना होगा नेताओं को
अशोक श्रीवास्तवः प्रियंका गांधी की सक्रियता से भाजपा की बौखलाहट देखने का मिल रही है। पार्टी नेता प्रियंका गांधी की वेशभूषा, पहनावे पर सवाल उठाने से भी बाज नही आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी वाड्रा की सक्रियता को लेकर कांग्रेस पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि जहां हमारे प्रधानमंत्री कहते हैं ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ वहीं कांग्रेस का नारा है बेटी को लाओ, बेटे को बचाओ। इसके एक दिन पहले ही बस्ती से भाजपा सांसद हरीश द्विवेदी ने प्रियंका पर विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि राहुल और प्रियंका मुद्दा नही हैं। वह दिल्ली में रहती हैं तो जींस और टॉप में रहती हैं और जब क्षेत्र में आती हैं तो साड़ी और सिंदूर लगाकर आती हैं। दोनो नेताओं के बयान से कांग्रेस में उबाल है। कई जगह विरोध प्रदर्शन भी हुये हैं।
व्यक्तिगत हमलों से दूर रहना होगा
राजनीतिक माहौल विषाक्त हो, और दलों के नेता सीमा रेखा पार करें इससे पहले सभी को अपनी जुबान पर लगाम लगानी होगी। नेताओं को देसरों पर टिप्पणी करने से पहले एक बार सोचना होगा कि सामने वाले नेता और दलों के पास भी जुबान है और वक्त आने पर वे भी जवाब देने से नही चूकेंगे।
आजाद हैं हम
किसी के पहनावे, बोल भाषा और पर्सनल लाइफ या दिनचर्या पर कुछ बोलने से पहले यह सोचना चाहिये कि हम आजाद भारत में रहते हैं और यहां अपनी पसंद का वेश, भाषा और धर्म को स्वीकार और अंगीकार करने की आजादी है, बेवजह निजी मामलो पर टिप्पणी कर हम राजनीतिक माहौल को विषाक्त क्यों बनायें।
क्यों खास हैं प्रिंयका
प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने की मांग बहुत पहले से उठ रही है। वह जनता की पसंद हैं। लोग उनमें स्व. इन्दिरा गांधी का अक्श देखते हैं। उनके जैसा पहनावा, उनके जैसी बोल भाषा, सादगी और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता समर्थकों को अपनी ओर खींचने में सक्षम है। इन्दिरा गांधी को भारतीय राजनीति में आयरन लेडी कहा गया। इसमें कोई दो राय नहीं इस बार लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी का जादू चलेगा, यह जादू कांग्रेस के लिये सरकार बनाने के लिये पर्याप्त होगा या नहीं यह वक्त तय करेगा।